अपने कुलदेवता की पहचान कैसे करें

अपने कुलदेवता की पहचान कैसे करें
Published On: May 16, 2023

कौन हैं आपके कुलदेवता

हमारे भारत वर्ष में बहुत सारी ऐसी परम्पराएं है जिनके बारे में हम जानते भले ही न हो पर मानते जरुर हैं, आज भी हम अपने देवी देवता को भूले नहीं है। किसी भी छोटे बड़े कार्यों में हम उनकी पूजा करना नही भूलते है, पर आपने ध्यान दिया होगा कि जब भी हम घरों मे पूजा करते है तो कुलदेवता , ग्रामदेवता, पितृदेवता की पूजा करना नहीं भूलते है, पर क्या आपको पता है कि इनकी पूजा से हमारे जीवन में क्या लाभ और नुकसान होते है? बहुत से ऐसे भी लोग होगें जिन्हें तो ये पता भी नही होगा कि हमारे कुलदेवता या कुलदेवी कौन हैं? कुलदेवता की पहचान कैसो करतो हैं?कुल देवता की पूजा कैसे करें?

हमारे भारत देश में बहुत से समाज या धर्म और जाति के लोग रहते है हर जाति के साथ ही सब के अपने अपने कुल देवी या देवता होते है, इसके अलावा पितृदेव भी होते हैं। भारत में रहने वाले हजारों वर्षों से अपने अपने कुलदेवी या देवता की पूजा करते आ रहे हैं। कुलदेवी और कुलदेवता देवता को पूजने का रहस्य बहुत ही गहरा है। कुलदेवता किसे कहते हैं आज के शहरों में रहने वाले लोगों को बहुत ही कम पता होता है, कि उनके कुलदेवता और कुलदेवी का उनकी जिंदगी, उनके हेल्थ और उनकी तरक्की से सीधा लेना देना है।

कैसे शुरु हुई कुलदेवी और कुलदेवता की पूजा

वेदों के समय से ही कुलदेवता और कुलदेवी की पूजा की परंपरा रही है। ऐसा माना जाता है कि हरेक वंश और कुल के अपने कुलदेवता या कुलदेवी होती हैं। हमारे पूर्वजों में किसी एक पूर्वज ने जिस किसी देवी या देवता को प्रसन्न कर लिया होगा और उनसे अपने वंश की तरक्की और रक्षा का वरदान प्राप्त किया होगा , वही देवी या देवता हमारे कुलदेवी या कुलदेवता बन जाते हैं।

कई बार ऐसा भी होता है कि जब हमारे किसी पूर्वज को किसी संकट का सामना करना पड़ा हो तो और उस वक्त उन्होंने किसी देवी या देवता की अराधना की हो और उनका संकट खत्म हो गया हो । तो ऐसे में वो देवी या देवता हमारे उस पूर्वज से बदले में कुलदेवी या देवता बनने की शर्त रखते हैं। संकट खत्म हो जाने पर पूर्वज अपने वंश के लोगों को उन देवी या देवता को ही अपने कुल देव या देवता बना लेते हैं और परंपरा से हम उन्हें ही अपना कुलदेवता या कुलदेवी बना लेते हैं।

एक वंश के कई लोगों के एक ही कुलदेवता या कुलदेवी होते हैं और ये उन्हें आपस में जोड़ने का एक जरिया भी बनते हैं। ऐसी मान्यता है कि कुलदेवी या कुलदेवता ही हमारे सांसारिक सुख सुविधाओं को पूरा करते हैं जबकि आध्यात्मिक जागरण के लिए हम किसी दूसरे देवी या देवता को अपना इष्ट बना कर पूजते हैं।

कुलदेवी या देवता कुल या वंश के रक्षक देवी-देवता होते हैं। ये घर-परिवार या वंश-परंपरा के प्रथम पूज्य तथा मूल अधिकारी देव होते हैं। इनकी गणना हमारे घर के बुजुर्ग सदस्यों जैसी होती है। इनका प्रभाव इतना महत्वपूर्ण होता है कि यदि ये रुष्ट हो जाएं तो हनुमानजी के अलावा अन्य कोई देवी या देवता इनके दुष्प्रभाव या हानि को कम नहीं कर सकता या रोक नहीं लगा सकता।

कुलदेवी या कुलदेवता का प्रभाव ऐसा होता है कि जब स्वयं भगवान विष्णु भी पृथ्वी पर अवतार लेते हैं तो वो जिस कुल में जन्म लेते हैं उस कुलदेवी या कुलदेवता की अऱाधना करते हैं। भगवान श्रीराम के कुलदेवता भगवान सूर्य हैं और भगवान श्रीकृष्ण की कुलदेवी माँ काली थीं। कुलदेवी या कुलदेवता की वजह से ही हमारे वंश की पहचान निर्धारित की जाती है।

कैसे करें पहचान कौन है कुल देवता

अगर आपको ये याद नहीं है कि आपके कुलदेवता या आपकी कुलदेवी कौन हैं सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार 11 मंगलवार का एक विशेष व्रत है जिसे करने से स्वयं आपके कुलदेवता या कुलदेवी आपको दर्शन दे सकते हैं और इसके बाद आप उनसे कोई भी वरदान प्राप्त कर सकते हैं।

11 मंगलवार के इस व्रत की शुरुआत किसी भी शुक्लपक्ष के मंगलवार से करें। सुबह पूजन अर्चन के समय एक सुपारी लेकर उसे स्नान करवाकर चौकी पर स्थापित करें, फिर श्रद्धा पूर्वक शब्दों में प्रार्थना करें ” हे हमारे कुल गोत्र के कुल देवता आप कौन हो कहां हो ? उसका मुझे ज्ञान नहीं। मैं आपको जानना चाहता हूं । इसी हेतु से मैं आपकी स्थापना इस सुपारी में कर रहा हूं। ऐसा तीन बार कहें उसके बाद सुपारी का पूजन करें और उसे अपने के मंदिर में रख दीजिए।

फिर रात में सोने से पहले सुपारी का फिर से पूजन कर प्रार्थना करें, ” हे हमारे कुल गोत्र के कुलदेवता मैं आपको जानना चाहता हूं? कृपा कर स्वप्न में मार्गदर्शन प्रदान कीजिए और सुपारी को अपने तकिये के नीचे रखकर सो जाईए और सुपारी को पुन: वापिस मंदिर में रख कर पूजन और प्रार्थना कर लीजिए।

जिस मंगलवार को आपने ये व्रत आरम्भ किया है। उसे जोड़कर हर एक ग्यारह मंगलवार को आपको कठोर उपवास रखना है। कुलदेवता स्तोत्र और कुलदेवता मंत्र से कुलदेवता स्थापना की जाती है। यही इसका नियम है। ग्यारहवें मंगलवार की रात आपको आपके कुलदेवता या कुलदेवी स्वप्न में दर्शन देंगे और आपको अपने कुलदेवी या कुलदेवता के बारे में पता चल जाएगा। व्रत की इस अवधि में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें ,यहां तक कि बिस्तर और सोने का स्थान तक शुद्ध और पवित्र रखें। ब्रह्मचर्य का पालन करें और मांस-मदिरा से पूर्ण परहेज रखें।

इस प्रयोग की अवधि के अन्दर आपको स्वप्न में आपके कुलदेवता/देवी की जानकारी मिल जाएगी। अगर स्वयं न समझ सकें तो आप किसी ड्रीम रीडर से अपने सपने का विश्लेषण करवाकर भी अपने कुलदेवता या कुलदेवी के बारे में जान सकते हैं। इस प्रकार वर्षों से भूली हुई कुलदेवता की समस्या हल हो जाएगी और पूजा देने पर आपके परिवार की बहुत सी समस्याएं भी समाप्त हो जाएंगी।

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