एक मुखी से पंचमुखी कैसे हो गए हनुमान जी

एक मुखी से पंचमुखी कैसे हो गए हनुमान जी
Published On: May 16, 2023

एक मुखी से पंचमुखी कैसे हो गए हनुमान जी

राम कथाओं में ये बताया गया है कि हनुमान जी के सिर्फ एक मुख नहीं है बल्कि उनके पांच मुख भी हैं और वो भगवान शिव की तरह तीन नेत्रों वाले भी हैं। हनुमान जी के ये पांच मुख नरसिंह, गरुण, अश्व, वानर और वराह के मुख हैं। कुछ कथाओं के अनुसार ये हनुमान जी का एक विशेष परिस्थिति में धारण किया गया स्वरुप है जो सभी भक्तों के लिए कल्याणदायक भी है। पंचमुखी हनुमान जी का रहस्य भक्तों के लिए शुभफल दायक है।

धर्मं ग्रथों के अनुसार हनुमान जी के पांच मुख पांच दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है। ये पांच दिशाएँ हैं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और आकाश की तरफ उर्घ्व दिशा। हनुमान जी के पूर्व दिशा के मुख को वानर के स्वरुप मे बताया जाता है, जिसके तेज को हजारों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। इस स्वरुप की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो जाती है। हनुमान जी का जो मुख पश्चिम दिशा में है वो मुख गरुड़ पक्षी जैसा है। गरुड़ मुख हनुमान जी भक्तों के लिए लाभकारी और उनके संकटों दूर करने वाला है।

बजरंग बली का उत्तर दिशा में जो मुख है वो वाराह रुप का है। यदि कोई भक्त उनके वाराह रुप कॉ आराधना करता है तो उसको अपार लक्ष्मी, धनसंपदा, ऐश्वर्य, यश, दीर्घायु औऱ उत्तम स्वास्थ् की प्राप्ति हो जाती है। हनुमान जी का दक्षिणमुख स्वरुप भगवान नरसिहं का है, जो भक्तों के भय, चिंता, परेशानी को दूर करता हैं। हनुमान जी का उर्ध्व दिशा का जो मुख है वो अश्व का है, जिससे भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

हनुमान जी ने क्यों लिया पंचमुखी अवतार

हम सभी श्रीराम और रावण के युद्ध के बारे में तो जानते ही हैं। हम ये भी जानते हैं कि हनुमान जी का जन्म राम काज करिबे को आतुर के लक्ष्य के लिए हुआ था। यानि श्रीराम के हर कठिन कार्य को हनुमान जी ने ही पूरा किया था। अपने प्रभु के लिए वो समुद्र पार कर लंका चले गए थे और माँ सीता का पता लगा लिया था। लक्ष्मण जी के लिए वो संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय चले गए थे।

इसी प्रकार प्रभु राम और दुष्ट रावण के बीच युद्ध के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया था जब रावण ने अपनी पराजय को सामने देख कर अपने तांत्रिक भाई अहिरावण से मदद मांगी थी। अहिरावण को ही महिरावण भी कहा जाता था और वो तंत्र मंत्र का ज्ञाता था। काले जादू में माहिर महिरावण ने रावण की सहायता करने के लिए सबसे पहले अपनी मायावी शक्ति से सारी वानर सेना को गहरी नींद में सुला दिया था। इसके बाद भवानी के भक्त महिरावण ने श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण कर लिया और उन्हें पाताललोक ले कर चला गया। अहिरावण की ये योजना थी कि वो माँ काली के सामने श्रीराम और लक्ष्मण की बलि दे दे।

कुछ समय के बाद जब सेना की निद्रा टूटी तो विभीषण को इस बात का पता चल गया कि ये काम अहिरावण का है तब वो हनुमान जी को पाताल लोक श्रीरामजी की सहायता के लिये तुरंत भेजते हैं। जब हनुमान जी पाताललोक में श्रीराम और लक्ष्मण की खोज में पहुंचते हैं तो वहां पर उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिलता है। हनुमान जी और मकरध्वज में पहले तो युद्ध होता है लेकिन जैसे ही मकरध्वज उन्हें पहचान लेता है तब वो हनुमान जी को पाताल लोक में प्रवेश करने देता है। जैसे ही हनुमान जी अहिरावण के महल के अंदर देवी भवानी के मंदिर में पहुंचते हैं वहाँ उन्हें प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण मूर्च्छित अवस्था में मिलते हैं। हनुमान जी को ये पता चल जाता है कि अहिरावण शीघ्र ही श्रीराम और लक्ष्मण जी की बलि देने की तैयारी कर रहा है।

हनुमान जी देवी भवानी को प्रसन्न कर लेते हैं। देवी भवानी उन्हें बताती हैं कि उनके सामने रखे पांच दियों को अगर कोई एक साथ बुझा देगा तो अहिरावण की मौत हो जाएगी।

माँ भवानी का ये वचन सुन कर हनुमान जी देवी भवानी की मूर्ति के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। जैसे ही अहिरावण वहाँ आकर देवी के सामने रखे इन पांच दियों को जलाता है वैसे ही हनुमान जी का पंचमुखी अवतार हो जाता है।

हनुमान जी का ये भयंकर और क्रोधी स्वरुप पांच मुखों वाला होता है। हनुमान जी अपने पांचों मुखों से एक बार में ही पांचों दियों को बुझा देते हैं और अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण जी को वापस युद्ध भूमि में ले आते हैं।

पंचमुखी हनुमान जी और भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र-

लोक कथाओं मे एक कथा और मिलती है कि एक बार मरियल नाम का दानव भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र चुरा कर भाग जाता है। मरियल दानव के पास एक ऐसी अद्भुत शक्ति थी कि वो जब चाहे अपना रुप बदल सकता था। जब यह बात हनुमान को पता लगती है तो वह संकल्प लेते हैं कि वे चक्र पुनः प्राप्त कर भगवान विष्णु को सौप देंगे।

हनुमान जी के इस संकल्प को सुन कर बहुत सारे देवी देवता हनुमान जी को बहुत सारे वरदान देते हैं। भगवान विष्णु ने हनुमान जी को पांच मुखो वाला स्वरुप धारण करने की शक्ति दे दी। विष्णु जी ने हनुमान जी को गरुड़ मुख, नरसिंह मुख, हयग्रीव मुख, वाराह मुख जैसे चार और मुख वरदान स्वरुप दिये। एक मुख जो वानर का है वो तो हनुमान जी का अपना ही मुख था।

विष्णु जी ने हनुमान जी को जो गरुड़ मुख प्रदान किया उसकी वजह से हनुमान जी गरुड़ की तरह कहीं भी उड़ कर जा सकते थे। विष्णु ने हनुमान जी को जो नरसिंह जैसा मुख दिया वो किसी को भी भयभीत कर देने की शक्ति वाला था। विष्णु जी ने घोड़े की शक्ल वाला हयग्रीव मुख हनुमान जी को इसलिए दिया ताकि वो संसार के सबसे ज्ञानी बन सकें। जबकि वाराह मुख इसलिए दिया ताकि वो किसी को भी सुख और समृद्धि प्रदान कर सकें।

इसके अलावा भी कई देवी देवताओं ने हनुमान जी को बहुत सारे वरदान और उपहार दिये। देवी पार्वती ने हनुमान जी को कभी न मुरझाने वाला कमल पुष्प दिया। यमराज ने उन्हें पाश नामक अस्त्र दिया जिससे हनुमान जी किसी को भी कैद कर सकते थे।

इन वरदानों को प्राप्त करने के बाद हनुमान जी मरियल दानव के पास गए और उसे उन्होंने युद्ध के लिए ललकारा मरियल मारा गया और हनुमान जी ने उससे सुदर्शन चक्र छीन कर वापस भगवान विष्णु को समर्पित कर दिया। लोक मान्यताओं के अनुसार इस घटना के बाद से ही हनुमान जी के पंचमुखी स्वरुप की पूजा शुरु हुई। पंचमुखी हनुमान जी की महिमा तो अनेक हैं लेकिन पंचमुखी हनुमान जी की कथा को सुनकर भी कलयुग में पाप से मुक्त हुआ जा सकता है।

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का अत्यंत लाभ मिलता है. कहते हैं अगर घर में पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा या तस्वीर लगाकर पूजा की जाए तो मंगल, शनि, पितृ व भूत दोष से मुक्ति मिल जाती है ।

ध्यान रखें कि यह प्रतिमा या तस्वीर दक्षिण दिशा में ही लगानी चाहिए साथ ही इनकी पूजा से जीवन में आने वाले हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं। मंगलवार हनुमान जी की पूजा का विशेष दिन होता है, इस दिन लाल रंग के फूल, सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करने का विशेष महत्व है। इसके साथ गुड़ व चने का भोग लगाना चाहिए एवं सुंदरकाण्ड या हनुमान चालीसा पढ़ने से विशेष लाभ होता है। इसके अतिरिक्त घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाने से सभी तरह के वास्तुदोष मिट जाते हैं।

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