हनुमान जी और ईसा मसीह के बीच अद्भुत रिश्ते की कहानी

हनुमान जी और ईसा मसीह के बीच अद्भुत रिश्ते की कहानी
Published On: May 10, 2023

क्या है ईसा मसीह और हनुमान जी का रिश्ता

सनातन हिंदू धर्म में हनुमान जी को चिरंजीवी कहा जाता है, ये बात तो हर कोई जानता है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि ईसा मसीह भी चिरंजीवी ही कहलाते हैं । गौर करें तो महावीर हनुमान जी और ईसा मसीह दोनों के ही जन्म की कथाएं अद्भुत, दिव्य और रहस्यमयी है । क्या ईसा मसीह और हनुमान जी के जन्म के बीच कोई रिश्ता है?

हनुमान जी की माँ और ईसा मसीह की माँ में समानता

अगर महावीर हनुमान जी की मां और जीसस की मां मरियम की कथा की तुलना करें तो दोनों ही दिव्य और अदृश्य शक्तियों के द्वारा गर्भवती की जाती हैं ।

बाईबल के मुताबिक मरियम के गर्भवती होने में यूसूफ का कोई लेना देना नहीं था और उनकी सगाई के बाद परमेश्वर अपनी अपरिमित शक्ति से मरियम को गर्भवती करते हैं । विवाह के पूर्व ही जिब्राइल नामक फरिश्ता मरियम के पास आता है। मरियम उस फरिश्ते को देख कर घबरा जाती है।

मरियम के इस डर को देख कर जिब्राइल कहते हैं कि “ डरो मत ! मुझे तुम्हारे पास परमेश्वर ने भेजा है। तू गर्भवती होगी और तेरे एक पुत्र होगा जिसका नाम तू यीशू रखना।“ ( लूका 1.31)

फरिश्ते जिब्राइल के ऐसा कहने पर मरियम कहती हैं कि – “मैंने आज तक किसी पुरुष का स्पर्श भी नहीं किया है।“ (लूका 1.34)

मरियम के ऐसा कहने पर जिब्राइल कहते हैं कि “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा और परम प्रधान की शक्ति तुझ पर छाया करेगी । इसलिए वह जो पवित्र उत्पन्न होने वाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।“ ( लूका 1.37)

पवित्र बाइबल, सुसमाचार लूका, 1.28 से 1.55

हनुमान जी की जन्म कथा

अगर हनुमान जी के जन्म की कथा की बात की जाए तो ये कथा हमें सबसे पहले वाल्मीकि रामायण के किष्किंधाकांड में मिलती है । जब लंका जाने के लिए समुद्र पार करना आवश्यक था और कोई भी वीर वानर समुद्र पार करने की शक्ति नहीं रखता था। तब जाम्बवंत जी की नज़र हनुमान जी पर पड़ती है । जाम्बवंत जी हनुमान जी को उनकी शक्ति का अहसास दिलाने के लिए उनके दिव्य जन्म की कथा कहते हैं –

दुहिता वानर इन्द्रस्य कुंजरस्य महात्मनः |
मानुषम् विग्रहम् कृत्वा रूप यौवन शालिनी || ४-६६-१०
विचित्र माल्य आभरणा कदाचित् क्षौम धारिणी |
अचरत् पर्वतस्य अग्रे प्रावृड् अंबुद सन्निभे || ४-६६-११

वाल्मिकी जी ने अपनी रचित रामायण में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं किया है कि पवन देव के द्वारा जिस वक्त माता अंजना को पुत्र प्राप्ति का वरदान मिला था , उस वक्त माता अंजना का विवाह हुआ था या नहीं।

सा तु तत्र एव संभ्रांता सुवृत्ता वाक्यम् अब्रवीत् |
एक पत्नी व्रतम् इदम् को नाशयितुम् इच्छति || ४-६६-१६

अर्थात – पवन देव के इस तरह आंतरिक अंगों में प्रवेश करने पर अंजना ने पूछा कि “कौन वह अदृश्य शक्ति है जो उनके एक पतिव्रत होने की इच्छा को तोड़ रहा है ।“ इस पर पवन देव ने कहा कि “मैंने आपका अपमान नहीं किया है। मैं सभी में प्रवेश करने वाला पवन देव हूं ।मैंने आपके अंदर दैविक रूप से प्रवेश किया है, जिससे आपको एक महान और तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति होगी।“
इसका अर्थ ये हो सकता है कि पवन देव माता अंजना के आंतरिक अंगो में ठीक उसी प्रकार प्रवेश करते हैं जैसे मरियम के अंदर रुह को भेजा जाता है और ईश्वर उन पर अपनी छाया कर देते हैं ।

हनुमान जी का जन्म एक गुफा में हुआ था

जहाँ ईसा मसीह का जन्म दिव्य था वहीं हनुमान जी भी दिव्य रुप से और ईश्वरीय शक्ति के द्वारा उत्पन्न हुए थे। इस श्लोक से हनुमान जी के दिव्य जन्म का पता चलता है –

गुहायाम् त्वाम् महाबाहो प्रजज्ञे प्लवगर्षभ || ४-६६-२०

इस श्लोक पर गौर करें तो माता अंजना को महावीर हनुमान जी एक गुफा में पाये जाते हैं । यानी उनका जन्म वाल्मीकि के मुताबिक आम तौर पर प्रसव के द्वारा नहीं हुआ, बल्कि वो दिव्य रुप से एक गुफा में पाए गए। मरियम भी गर्भवती होती हैं, लेकिन यीशू का जन्म भी एकांत स्थान पर वहां होता है जहां मरियम के अलावा और कोई नहीं होता है ।

हनुमान जी और ईसा मसीह का जन्म प्रसव के द्वारा नहीं हुआ!

गौर करें तो माता अंजना और मदर मैरी दोनों ही एक अदृश्य शक्ति के द्वारा गर्भ धारण करती हैं । दोनों के ही पुत्रों का जन्म प्रसव पीड़ा से हुआ या नही ये रहस्य है और दोनो के ही जगत पिता यूसूफ और केसरी वास्तव में यीशू और हनुमान जी के जैविक पिता नहीं थे ।

पवित्र कुरान शरीफ में ईसा मसीह के जन्म की कथा

बजरंगबली और जीसस, दोनों ही ईश्वरीय सत्ता के महान स्वरूप के रूप में पूजित होते हैं। लेकिन हनुमान जी का जन्म ईसा मसीह से हजारों साल पहले हुआ था । ईसा मसीह के जन्म की कथा पवित्र बाईबल के अलावा पवित्र कुराण शरीफ में थोड़े अंतर के साथ मिलती है ।

पवित्र क़ुरआन शरीफ में ईसा मसीह को ‘इब्न-ए-मरियम’ कहा गया है। इसमें एक पूरा अध्याय ही ‘मदर मैरी’ या फिर ‘मरियम’ के नाम पर है जिसे ‘सूरह मरियम’ भी कहा जाता है ।

इस अध्याय में ईसा मसीह के दिव्य जन्म की कहानी दी गई है। कथा के मुताबिक अल्लाह ने मरियम के पास अपनी रुह भेजी जो एक फरिश्ते में बदल गई । मरियम ने उस फरिश्ते से कहा कि “वो उससे अल्लाह की शरण मांगती है।“ फरिश्ते ने कहा कि “उसे अल्लाह ने ही मरियम के पास भेजा है, ताकि वो उसे एक बच्चा दे सके ।“

मरियम कहती हैं कि “ऐसा कैसे हो सकता है जब उन्होंने आज तक किसी पुरुष का स्पर्श भी नहीं किया?” फरिश्ता कहता है कि “अल्लाह के लिए ऐसा करना आसान है ।“ इसके बाद मरियम गर्भवती हो जाती हैं । इसके बाद अल्लाह मरियम को संतान देते हैं

लेकिन पवित्र कुरा

न शरीफ ने अनुसार अल्लाह ईसा मसीह के पिता नहीं हैं और न ही ईसा मसीह अल्लाह के पुत्र हैं। जबकि बाइबल में ईसा मसीह को परमेश्वर का पुत्र कहा गया है और ईसा मसीह परमेश्वर को पिता कह कर बुलाते हैं।

ईसा मसीह के जन्म की कथा में अंतर

बाइबल के मुताबिक यूसूफ को पता है कि यीशू परमेश्वर के द्वारा भेजा जाने वाला है और इसलिए वो उसे अपनाता है। लेकिन पवित्र क़ुरआन शरीफ के मुताबिक यीशू को अपने जन्म के बाद खुद ही अपनी दिव्यता के बारे में बताना पड़ता है और अपनी मां पर लगे कुंवारी मां के कलंक को दूर करना पड़ता है।

चिरंजीवी हैं हनुमान जी

गौर करें महावीर हनुमान जी के बारे में यह भी कहा जाता है कि वो चिरंजीवी हैं । पवित्र क़ुरआन शरीफ के अनुसार ईसा मसीह को भी सलीब पर चढ़ाने से पहले ही अल्लाह ने उठा लिया था। ईसा मसीह के बारे में कहा जाता है कि वो कयामत के रोज़ वापस आएंगे । इसका अर्थ ये भी हो सकता है कि ईसा मसीह भी हनुमान जी की तरह ही चिरंजीवी हैं।

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