क्या शिव ने किया था महाभारत के वीरों का वध

क्या शिव ने किया था महाभारत के वीरों का वध
Published On: May 10, 2023

क्या शिव ने किया था महाभारत के वीरों का वध

सनानत हिंदू धर्म में महान ग्रंथों में भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। रामायण और महाभारत दोनों में ही भगवान शिव की महिमा बताई गई है। महाभारत में गांधारी, कुंती, दुर्योधन, जयद्रथ. भगवान श्रीकृष्ण को भगवान शिव का भक्त बताया गया है।

आमतौर पर ये मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के नायक भगवान श्रीकृष्ण थे और उनकी ही नीतियों की वजह से महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय हुई। लेकिन महाभारत को गौर से पढ़ने से पता चलता है कि महाभारत के नायक भगवान शिव हैं।

भगवान शिव ने किया कौरवों और पांडव सैनिकों का वध

भगवान शिव ने किया कौरव पांडव सैनिकों का वध किया था अब आप कहेंगे कि हमने तो टीवी सीरियलों और किताबों में यही पढ़ा है कि महाभारत युद्ध में कौरव सेना का संहार अर्जुन और भीम ने किया था। महाभारत के पांडव पक्ष के वीरों ने ही युद्ध में कौरवों को मार कर हस्तिनापुर का राज्य जीता था।

आप ये भी कहेंगे कि कौरव पक्ष में भीष्म , कर्ण और द्रोण ने पांडव पक्ष के करोड़ों सैनिकों का वध किया था । तो आखिर हम भगवान शिव को महाभारत के युद्ध से क्यों जोड़ रहे हैं?

महाभारत में है शिव के इस संहार कार्य का वर्णन

महाभारत के रचयिता वेद व्यास ने महाभारत में है शिव के इस संहार कार्य का वर्णन कियी है कि महाभारत में अर्जुन ने किसी को नहीं मारा, न ही भीम ने दुर्योधन के सौ भाइयों को मारा और न ही भीष्म पितामह ने हजारों सैनिकों का नरसंहार किया। यहां तक कि द्रोणाचार्य और कर्ण ने कोई विशेष पराक्रम नहीं किया था। अगर इस महान युद्ध में दोनों पक्षों के सैनिको और वीरों का वध किसी ने किया तो वो थे महाकाल महादेव भगवान शिव और माँ काली।

अर्जुन को व्यास ने बताई भगवान शिव की कहानी

आप चौंक गए होंगे। लेकिन अब महाभारत के द्रोण पर्व में महाभारत युद्ध के इस वर्णन को जान लीजिए। दरअसल द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद कौरव सेना हताश हो गई थी और जिस दिशा में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन का रथ लेकर जाते उधर अर्जुन लाशों के ढेर लगा देते थे ।लेकिन ये बात अर्जुन को भी समझ में नहीं आ रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है । तभी अर्जुन व्यास जी के पास जाते हैं और उनसे पूछते हैं तो अर्जुन को व्यास ने बताई भगवान शिव की कहानी-

संग्रामे न्यहनं शत्रून् शरौघैर्विमलैरहम् ।
अग्रतो लक्षये यान्तं पुरुषं पावकप्रभम् ।।4
ज्वलन्तं शूलमुद्यम्य यां दिशं प्रतिपद्यते ।
तस्यां दिशि विदीर्यन्ते शत्रवो मे महामुने ।।5
(महाभारत,द्रोणपर्व,अध्याय-202)

अर्जुन व्यास जी से कहते हैं कि “जब मै अपने बाणों से कौरवों की सेना का संहार करता हूं तो उस समय मुझे दिखाई देता है कि एक अग्नि के समान तेजस्वी पुरुष मेरे आगे-आगे चल रहा है और उसके हाथ में जलता हुआ त्रिशूल है । जिस ओर वो अपने त्रिशूल के साथ जाता है उस तरफ के शत्रु मारे जा रहे हैं । उसके तेज से उस एक ही त्रिशूल से हजारों नए-नए त्रिशूल प्रकट होकर शत्रुओं पर गिरते थे और उसने ही समस्त शत्रुओं को मार गिराया । किंतु लोग समझते हैं कि मैंने ही उनका वध किया है , तो कृपा कर मुझे बताइये कि वो दिव्य पुरुष कौन था ,जिसने सारी कौरव सेना का संहार किया ।“

अर्जुन के प्रश्न को सुनकर व्यास जी बताते हैं

प्रजापतीनां प्रथमं तैजसं पुरुषं प्रभुम् ।
भुवनं भूर्भुवं देवं सरेवलोकेश्वरं प्रभुम् ।।9
(महाभारत,द्रोणपर्व,अध्याय-202)

“हे अर्जुन! जो प्रजापतियों में श्रेष्ठ हैं, सूर्य के समान तेज वाले हैं, सब कुछ जानने वाले हैं,जो सभी लोकों के स्वामी हैं, भूलोक भुवर्लोक और भुवनलोक जिनके स्वरूप हैं,उन्हीं भगवान शिव ने तुम्हें दर्शन दिया है ।संसार की उत्पत्ति तथा नाश के कारण वही भगवान शिव हैं और वही तुम्हारे आगे-आगे चलकर अपने त्रिशूल से शत्रुओं का नाश कर रहे थे। “

व्यास जी की इस बात से ये पता चलता है कि कौरवों और पाण्डवों के युदध में महादेव ने ही समस्त कौरव सेना का संहार किया था ।दरअसल भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है और महाभारत के युद्ध में करोड़ों लोगों का संहार महाकाल ने ही किया था ।

पांडव पक्ष के वीरों का वध शिव जी ने किया

अब बात आती है कि फिर पांडव पक्ष के लोगों का संहार किसने किया था? हम तो यही जानते हैं कि द्रोण, कर्ण और भीष्म जैसे महावीरों ने पांडव सेना के करोड़ों लोगों को अपने अस्त्रों और शस्त्रों से मार गिराया था। तो इस तथ्य की भी जांच कर लेते हैं।

जब हम महाभारत के सौप्तिक पर्व को पढ़ते हैं तो हमें इस बात का पता चलता है कि पांडव पक्ष के वीरों का वध शिव जी ने किया और देवी कालरात्रि ने उनका सहयोग था। कालरात्रि ही माँ काली भी हैं। माँ काली या कालरात्रि भगवान शिव के साथ संहार कार्य में उनकी सहयोगी रहती हैं।

प्रसंग ये है कि जब कौरव सेना बुरी तरह से पराजित हो जाती है और दुर्योधन भी युद्ध में मारा जाता है तो दुर्योधन का मित्र अश्वत्थामा क्रोध में आकर सभी पांडवों के वध की प्रतिज्ञा ले लेता है।

अश्वत्थामा था भगवान शिव का अंश

अश्वत्थामा बचे हुए पांडवों और उनके सैनिको का वध करने के लिए भगवान शिव से मदद मांगता है और उनकी स्तुति कर उन्हें प्रसन्न कर लेता है। जब अश्वत्थामा महादेव का स्तुति करता है और उसकी पूजा से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं तो भगवान शिव अपने गणों के साथ अश्वत्थामा को दर्शन देते हैं और कहते हैं कि –

कृतस्तस्यैव सम्मान: पञ्चालान् रक्षता मया ।
अभिभूतास्तु कालेन नैषमद्यास्ति जीवितम् ।।65
एवमुक्त्वा महात्मानं भगवानात्मनस्तनुम् ।
आविवेश ददौ चास्मै विमलं खड्गमुत्तमम् ।।66
(महाभारत,सौप्तिकपर्व,अध्याय-7)

इस श्लोक में भगवान शिव ने अश्वत्थामा से कह रहे हैं कि श्रीकृष्ण के सम्मान से ही अभी तक पाञ्चालों के प्राण बचे हैं, लेकिन अब काल के अनुसार इनका जीवन नहीं बचा है अर्थात् इनको मरना होगा। और महाभारत में बताया गया है कि अश्वत्थामा भगवान शिव का अंश था ।

अश्वत्थामा को दिया शिव जी ने वरदान

ऐसा कहकर भगवान शिव अश्वत्थामा के शरीर में प्रवेश कर गए जाते हैं और इसके बाद भगवान शिव से आवेशित अश्वत्थामा एक भयंकर तलवार लेकर दहकती हुई अग्नि के समान पाञ्चालों को मारने के लिए दौड़ पड़ जाता है । अश्वत्थामा भगवान शिव के गणों के साथ पांडवों की छावनी में उस वक्त हमला कर देता है जब सारे पांडव वीर वहाँ सो रहे होते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण ने बचाई पांडवों की जान

हम आपको बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण को भी इस संहार का अहसास पहले से था इसलिए उन्होंने पांचो पांडव भाइयों को उस छावनी से दूर कर दिया था। और भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों की जान बचाई।

अश्वत्थामा उस छावनी में प्रवेश कर जाता है और इसके बाद भगवान शिव के गणों के साथ वो द्रौपदी के पांचो पुत्रों , धृष्टध्युम्न और शिखंडी का वध कर देता है।

माँ काली ने किया महाभारत का युद्ध

माँ काली ने किया महाभारत का युद्ध दरअसल जिस वक्त छावनी के अंदर अश्वत्थामा भगवान शिव के गणों के साथ लोगों की हत्याएं कर रहा था उस वक्त छावनी के अंदर सोए हुए लोगों में हाहाकार मच गया । कई ने ये भी कहा कि उन्हें सपने में एक देवी नजर आती थी जिसका रंग काला था और वो लाल रंग के वस्त्र पहने हुए थी। दोस्तों वो देवी और कोई नहीं बल्कि कालरात्रि या माँ काली ही थीं जो अश्वत्थामा के अंदर प्रवेश कर चुके भगवान शिव के साथ संहार का कार्य कर रही थीं।

महाभारत में भगवान शिव के गण

जैसा ही हमने आपको बताया कि महाभारत में भगवान शिव के गण भी एक तरफ से सामने आने वालों को मार रहे थे उसे आप इस श्लोक से प्रमाणित कर सकते हैं –

तमदृश्यानि भूतानि रक्षांसि च समाद्रवन् ।
अभित:शत्रुशिबिरं यान्तं साक्षादिवेश्वरम् ।।68
(महाभारत,सौप्तिकपर्व,अध्याय-7)

इस श्लोक से ये बताया जा रहा है कि साक्षात् भगवान शिव के समान शत्रु शिविर की ओर जाते हुए अश्वत्थामा के साथ-साथ बहुत से अदृश्य भूत और राक्षस भी दौड़े और शत्रुओं का संहार किया।

महाभारत की कहनियों में हम सुनते आए हैं कि दुर्योधन के सभी भाइयों को भीम ने मौत के घाट उतारा…भीष्म, कर्ण, जयद्रथ और भी अनेक वीर योद्धाओं का वध अर्जुन ने किया, लेकिन महाभारत में व्यास जी अर्जुन को बताते हैं कि खुद भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से दोनो सेनाओं के वीर योद्धाओं का संहार किया है।

महाभारत के युद्ध से बचे कुछ योद्धाओं को भगवान शिव ने अश्वत्थामा के शरीर में प्रवेश करके अपनी खड़ग से मार डाला ।दरअसल महाभारत के असली योद्धा तो भगवान शिव थे जिन्होने दोनो पक्षों के वीरों को मौत के घाट उतारा था।

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