सनातन हिंदू धर्म दुनिया का सबसे वैज्ञानिक धर्म है हमारे धर्म की हर बात विज्ञान की कसौटी पर खरी उतरती है तो आज हम आपको बताने जा रहे भगवान शिव के नटराज रूप की वैज्ञानिकता का रहस्य क्या आप जानते हैं कि नटराज की इस मूर्ति में ब्रह्मांड के बनने, चलने और खत्म होने का पूरा विज्ञान छिपा हुआ है ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि दुनिया के कई महान वैज्ञानिक इसे बात की तसदीक कर रहे हैं। नटराज की मूर्ति को ब्रह्मांड का रूप मानने वाले लोगों में प्रसिद्ध अमेरिकी क्वांटम भौतिक वैज्ञानिक कार्ल सागन, ऑस्ट्रिया में पैदा हुए अमेरिकी वैज्ञानिक फिटजॉफ कैपरा, और महान अंग्रेज लेखक ऐल्डस हक्सले का नाम अहम है। नटराज की मूर्ति का वैज्ञानिक आधार देश विदेश के अनेक वैज्ञानिकों ने दिया है।
नटराज मूर्ति ब्रह्मांड का प्रतीक है
अद्भुत है शिव के नटराज स्वरूप का रहस्य भगवान शिव के नृत्य के दो रूप हैं पहला तांडव इस रूप में भगवान शिव सृष्टि का संहार करते हैं दूसरा आनंद-तांडव। इस रूप में भगवान शिव सृष्टि का निर्माण करते हैं नटराज रूप में भगवान शिव के दोनों नृत्य एक साथ दिखते हैं नटराज की मूर्ति में भगवान शिव के चार हाथ हैं ऊपर उठे भगवान के दाहिने हाथ में डमरू है डमरू के नाद से वो सृष्टि का सृजन करते हैं ऊपर उठे बाएं हाथ में अग्नि है जो सबकुछ जलाकर खाक कर देती है इस हाथ से वो सृष्टि का विनाश करते हैं उनका निचला दायां हाथ अभय मुद्रा में है इसका मतलब है कि डरो मत जो भी हो रहा है मैं कर रहा हूं सब ठीक है घबराने की जरूरत नहीं दूसरा बायां हाथ पैरों की तरफ इशारा करता है एक पैर के नीचे बौना राक्षस दबा हुआ है यह अहंकार और अज्ञान का प्रतीक है जबकि एक पैर ऊपर उठा हुआ है। जो गुरुत्वाकर्षण के विपरीत ऊपर उठने यानि आध्यात्मिक चिंतन और उन्नति का प्रतीक है उठा हुआ पैर लगातार हो रहे बदलाव का भी प्रतीक है यह पूरी आकृति एक घेरे के अंदर है जिससे ज्वालाएं निकल रहीं जो एक आभामंडल की तरह है भगवान शिव की जटाएं हैं जो उस ब्रह्मांड की सीमा तक जा रही हैं जो अनंत को दर्शाती हैं महायोगी शिव की इस मुद्रा में सबकुछ समाहित है कुछ भी इससे बाहर नहीं एल्डस हक्सले कहते हैं कि नटराज की ये मूर्ति साइंस के मास, एनर्जी, स्पेस और टाइम यानि द्रब्यमान, ऊर्जा, स्थान और समय को पूरी तरह दर्शाती है
क्वांटम भौतिकी के वैज्ञानिक कार्ल सागन के मुताबिक सनातन हिंदू धर्म दुनिया के महान धर्मों में एक है उनका कहना है कि सिर्फ हिंदू धर्म ही ऐसा धर्म है जो कहता है ब्रह्मांड का निर्माण और विनाश हमेशा चलने वाली एक प्रक्रिया है।
साइंस लेबोरेटरी में नटराज की मूर्ति
स्वीटजरलैंड में मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी साइंस लेबोरेटरी सर्न में भगवान नटराज की 2 मीटर ऊंची मूर्ति लगी है। 2014 में भारत सरकार ने सर्न फिजिक्स लैब को ये मूर्ति तोहफे में दी थी। कुछ वैज्ञानिकों ने साइंस लैब के परिसर में हिंदू धर्म से जुड़ी मूर्ति स्थापित करने का विरोध किया था लेकिन फिर भी इस मूर्ति का यहां लगे रहना इसके वैज्ञानिक महत्व को दर्शाता है इस मूर्ति के पास वैज्ञानिकों ने जो संदेश लिखे हैं वो भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। महान भौतिक विज्ञानी फ्रिटजॉफ कैपरा लिखा है – सैकड़ों साल पहले भारतीय कलाकारों ने भगवान शिव का नटराज रूप बनाया था आज कई भौतिक वैज्ञानिक एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ‘कॉस्मिक डांस’ का खाका तैयार कर रहे हैं उन्होंने आगे लिखा कि ‘ब्रह्मांडीय नृत्य’ का सिद्धांत असल में प्राचीन धर्म और उनके मिथक पर ही खड़ा है। परमआनंद का तांडव करते हुए शिव सभी प्रकट और अप्रकट चीजों का प्रतीक हैं
सर्न लैब के वैज्ञानिक एडन रान्डेल कोंड लिखते हैं कि दिन के उजाले में जब सर्न में काफी हलचल रहती है। उस समय भी नटराज शिव नृत्य की मुद्रा में होते हैं जो हमें यह याद दिलाता है कि ब्रह्मांड लगातार गतिमान है, जो खुद को लगातार बदल रहा है और वह कभी स्थिर भी नहीं रहा है शिव इस रूप में ये भी याद दिलाते हैं कि हम अब भी इस ब्रह्मांड के सबसे बड़े रहस्य को नहीं जानते हैं