Menu

  • Home
  • Trending
  • Recommended
  • Latest

Categories

  • Dharm Gyan
  • Hindu Mythology
  • Myth & Truth
  • Sanatan Ecosystem
  • Sanatan Glory
  • Sanatan Lifestyle
  • Science & Spirituality
  • The Karma English
  • Video
The Karmapath
  • English
No Result
View All Result
The Karmapath
No Result
View All Result
Home Dharm Gyan

Tipu Sultan – अत्याचारी शासक या मैसूर का गीदड़?

admin by admin
August 12, 2025
0 0
0
tipu sultan
0
SHARES
50
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

टीपू सुल्तान (Tipu Sultan), मैसूर का शासक (1782-1799), भारतीय इतिहास में एक विवादास्पद और कुख्यात व्यक्ति हैं। उन्हें कुछ लोग ‘मैसूर का शेर’ कहते हैं, लेकिन वास्तविकता में उनके शासनकाल में हिंदू और ईसाई समुदायों पर हुए अत्याचार और बार-बार युद्धों में मिली हार उन्हें ‘दक्षिण का औरंगजेब’ या ‘मैसूर का गीदड़’ साबित करते हैं। कांग्रेस पार्टी ने टीपू की जयंती मनाकर और उनकी छवि को चमकाने की कोशिश की, लेकिन ऐतिहासिक साक्ष्य उनके क्रूर और कट्टर चरित्र को उजागर करते हैं। यह लेख टीपू के अत्याचारों, उनके पत्रों में दर्ज काले सच, और कांग्रेस की भूमिका पर प्रकाश डालता है।

टीपू सुल्तान (Tipu Sultan): एक असफल योद्धा

टीपू सुल्तान ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ चार अंग्रेज-मैसूर युद्ध (1767-1799) लड़े, लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी। पहले और दूसरे युद्ध में उनके पिता हैदर अली की भूमिका थी, लेकिन तीसरे और चौथे युद्ध में टीपू की कमजोर रणनीति और सहयोगियों से विश्वासघात के कारण हार निश्चित थी। चौथे युद्ध (1799) में श्रीरंगपट्टनम की घेराबंदी में टीपू की मौत हुई, जिससे मैसूर की स्वतंत्रता खत्म हो गई। उनकी रॉकेट तकनीक की बातें होती हैं, लेकिन युद्ध में ये रॉकेट्स प्रभावी नहीं रहे। टीपू की तलवार केवल कमजोर और निहत्थे लोगों, जैसे हिंदू और ईसाई समुदायों, के खिलाफ ही चली।

टीपू सुल्तान का असली इतिहास

टीपू सुल्तान की धार्मिक नीतियां उनकी क्रूरता का सबसे बड़ा सबूत हैं। उनकी तलवार पर लिखा वाक्य – “मेरी विजयी तलवार काफिरों के विनाश के लिए बिजली की तरह चमक रही है” – साफ तौर पर उनकी हिंदू और ईसाई विरोधी मानसिकता दिखाता है। इतिहासकार विक्रम संपत की किताब द सागा ऑफ मैसूर इंटररेग्नम  में टीपू के पत्रों का जिक्र है, जहां उन्होंने दावा किया कि उनके सपनों में हूरें उन्हें हिंदू मूर्तियां तोड़ने का आदेश देती थीं।

सबसे घृणित कृत्य था शालिग्राम (भगवान विष्णु की पवित्र मूर्ति) का अपमान। टीपू ने अपने पत्रों में लिखा कि उन्होंने शालिग्राम को चूरा बनाकर अपनी माला में मिलाया और इसे इस्लाम कबूल करने का प्रतीक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं को शालिग्राम की जगह बादाम की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि उनके भगवान ने इस्लाम स्वीकार कर लिया है। यह हिंदू भावनाओं का खुला अपमान था। टीपू ने हिंदुओं पर जजिया कर लगाया, जिससे गरीब हिंदू इस्लाम अपनाने को मजबूर हुए। उनके पत्रों में 4 लाख हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित करने का दावा है, जो उनकी कट्टरता का सबूत है।

मंदिरों की तोड़फोड़: हिंदू संस्कृति पर हमला

टीपू सुल्तान ने दक्षिण भारत में कई प्राचीन मंदिरों को नष्ट किया। केरल के थ्रिसुर जिले में त्रिक्कंडियूर और त्रिप्रंगट्टू मंदिरों को तोड़कर उनके स्थान पर मस्जिदें बनाई गईं। बैंगलोर गेट के पास प्राचीन हनुमान मंदिर को जुम्मा मस्जिद में बदल दिया गया। केरलधिश्वरम मंदिर भी उनके कहर से नहीं बचा। ये कृत्य हिंदू संस्कृति और धार्मिक प्रतीकों पर सीधा हमला थे। टीपू के पत्रों में मंदिर तोड़ने की बातें दर्ज हैं, जिसमें उन्होंने इसे जिहाद का हिस्सा बताया।

मंडयम अयंगर्स नरसंहार: क्रूरता की पराकाष्ठा

टीपू सुल्तान का सबसे भयावह अत्याचार था मंडयम अयंगर्स ब्राह्मणों का नरसंहार। 1790 में दीवाली की रात को, टीपू ने मेलुकोटे में 700-800 ब्राह्मणों, महिलाओं और बच्चों को दावत के बहाने बुलाया और हाथियों से कुचलवाकर मार डाला। इस नरसंहार का कारण था ब्राह्मणों का मैसूर के वाडियार राजघराने से जुड़ाव, जिसे टीपू ने गद्दारी माना। इस घटना का दर्द इतना गहरा है कि मंडयम अयंगर्स समुदाय आज भी दीवाली नहीं मनाता।

ईसाई समुदाय पर जुल्म

हिंदुओं के अलावा, टीपू ने मंगलोर के ईसाई समुदाय पर भी भयानक अत्याचार किए। 60,000 कैथोलिक ईसाइयों को कैद किया गया, 30,000 को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया, और कई चर्च नष्ट किए गए। ईसाई परिवारों को हाथियों से बांधकर मौत दी गई। टीपू का यह विश्वास कि मृत शरीरों का भी धर्मांतरण हो सकता है, उनकी मानसिकता को दर्शाता है।

कांग्रेस की भूमिका: टीपू को महान बनाने की साजिश

कांग्रेस पार्टी ने टीपू सुल्तान को स्वतंत्रता सेनानी और सेकुलर नायक के रूप में पेश किया है। 2015 में, कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने टीपू जयंती को सरकारी स्तर पर मनाने की शुरुआत की। यह कदम अल्पसंख्यक वोट बैंक को लुभाने की रणनीति थी। 2025 में, मैसूर जिले के प्रभारी मंत्री एचसी महादेवप्पा ने केआरएस डैम की नींव का श्रेय टीपू को दिया, जो ऐतिहासिक रूप से गलत है। आधुनिक डैम का निर्माण 1911-1932 में नलवाड़ी कृष्णराजा वाडियार ने करवाया। इस दावे ने हिंदू समुदाय में रोष पैदा किया।

कांग्रेस पर आरोप है कि वह टीपू के अत्याचारों को छिपाकर मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करती है। नटवर सिंह की आत्मकथा वन लाइफ इज़ नॉट इनफ में उल्लेख है कि इंदिरा गांधी ने बाबर की मजार पर माथा टेका था, जो हिंदू भावनाओं के साथ खिलवाड़ का उदाहरण है। 1990 में द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान धारावाहिक का विरोध मैसूर के राजघरानों और उन हिंदुओं ने किया, जिनके पूर्वजों पर टीपू ने अत्याचार किए। फिर भी, कांग्रेस ने इन विरोधों को नजरअंदाज किया।

टीपू सुल्तान हिंदू विरोधी

टीपू सुल्तान के अत्याचारों को छिपाने के पीछे राजनीतिक मंशा रही है। कांग्रेस ने टीपू को महान बताकर मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश की। स्कूलों में पढ़ाया गया कि टीपू की तलवार न्याय के लिए उठी और उन्होंने कभी भेदभाव नहीं किया। लेकिन उनके पत्र और ऐतिहासिक दस्तावेज इस झूठ को बेनकाब करते हैं। टीपू ने स्वयं लिखा कि उनकी तलवार ‘काफिरों’ (हिंदू और ईसाई) के लहू के लिए चमकती थी।

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

टीपू के शासन में हिंदू और ईसाई समुदायों का विश्वास टूटा। मंडयम अयंगर्स और मंगलोर ईसाइयों के वंशज आज भी उनके अत्याचारों को याद करते हैं। टीपू ने सिल्क उद्योग को बढ़ावा दिया, लेकिन युद्धों और अत्याचारों से सांस्कृतिक नुकसान हुआ। मंदिरों की तोड़फोड़ ने हिंदू धरोहर को अपूरणीय क्षति पहुंचाई। कांग्रेस का टीपू जयंती मनाना और केआरएस डैम का श्रेय देना हिंदू भावनाओं का अपमान है। यह दक्षिण भारत में सांस्कृतिक तनाव को बढ़ाता है।

भविष्य की दिशा

टीपू सुल्तान की विरासत को ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर देखना जरूरी है। उनके पत्र, मंदिर तोड़ने के सबूत, और नरसंहार की घटनाएं उनकी कट्टरता को दर्शाती हैं। कांग्रेस की नीतियां इस सच को छिपाने की कोशिश करती हैं, लेकिन हिंदू और ईसाई समुदायों का दर्द छिप नहीं सकता। टीपू को ‘मैसूर का शेर’ कहना गलत है। उनकी हार, क्रूरता और धार्मिक कट्टरता उन्हें ‘दक्षिण का औरंगजेब’ या ‘मैसूर का गीदड़’ बनाती है। भारत को इतिहास के इस काले अध्याय को स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए।

 

author avatar
admin
See Full Bio
Tags: Congrescongress support tipuTipu JayantiTipu SultanTipu Sultan Jayanti

Recommended videos

इंडोनेशिया को ब्रह्मा के ज्वालामुखी से बचाने वाले गणेश: एक चमत्कारी सनातन रहस्य

इंडोनेशिया को ब्रह्मा के ज्वालामुखी से बचाने वाले गणेश: एक चमत्कारी सनातन रहस्य

60 VIEWS
September 8, 2025
मोदी की सत्ता अमरता की आयुर्वेदिक औषधि: पुतिन और शी जिनपिंग को मिला प्राचीन ज्ञान

मोदी की सत्ता अमरता की आयुर्वेदिक औषधि: पुतिन और शी जिनपिंग को मिला प्राचीन ज्ञान

31 VIEWS
September 8, 2025
बाबासाहेब अंबेडकर और हिंदू धर्म: एक अनकहा सच

बाबासाहेब अंबेडकर और हिंदू धर्म: एक अनकहा सच

5 VIEWS
September 8, 2025
श्री नारायण गुरु: सनातन धर्म के सुधारक और संरक्षक

श्री नारायण गुरु: सनातन धर्म के सुधारक और संरक्षक

18 VIEWS
September 8, 2025
भारत के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और मोदी की रणनीति

भारत के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और मोदी की रणनीति

19 VIEWS
August 29, 2025
Osho

Osho और America: एक दार्शनिक की अनकही कहानी

82 VIEWS
August 29, 2025
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms of Use

Copyright 2024

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • Home
  • Categories
    • Dharm Gyan
    • Hindu Mythology
    • Myth & Truth
    • Sanatan Ecosystem
    • Sanatan Glory
    • Sanatan Lifestyle
    • Science & Spirituality
    • The Karma English
  • Contact Us
  • About Us

Copyright 2024