Menu

  • Home
  • Trending
  • Recommended
  • Latest

Categories

  • Dharm Gyan
  • Hindu Mythology
  • Myth & Truth
  • Sanatan Glory
  • Sanatan Lifestyle
  • Science & Spirituality
  • The Karma English
  • Video
The Karmapath
  • English
No Result
View All Result
The Karmapath
No Result
View All Result
Home Dharm Gyan

रामानुजाचार्य ने समानता के लिए क्या किया?

The Karma by The Karma
March 2, 2025
0 0
0
ramanujacharya

भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के जिस आंदोलन को बाबा बागेश्वर धाम तेजी से बढ़ा रहे हैं। क्या उसकी आधारशिला 11वीं सदी में ही एक महान हिंदू संत रामानुजाचार्य ने रख दी थी। वो महान हिंदू संत कौन थे जिन्होंने सबसे पहले ये समझा कि भक्ति में वो ताकत है जो भारत को हिंदू राष्ट्र में तब्दील कर सकती है। वो महान हिंदू संत कौन थे जिन्होंने सबसे पहले दलितों और मुसलमानों के लिए मंदिर के दरवाजे खोल दिए। वो महान संत कौन थे जिन्होंने भक्ति आंदोलन का बिगुल फूंका और भारत के घर-घर में भक्ति को साकार कर दिया

रामानुजाचार्य का सिद्धान्त

11वीं-12वीं सदी में जगदगुरु रामानुजाचार्य जी का सिद्धांत जिसको भक्ति आंदोलन ने जन्म दिया। उसी में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के आंदोलन के बीज भी मौजूद हैं। क्योंकि जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी ने ही सबसे पहले कहा कि भगवान की भक्ति हर जाति और धर्म के लिए है। उन्होंने ने ही सबसे पहले हिंदू मंदिरों के दरवाजे दलितों और मुसलमानों के लिए खोलने का समर्थन किया। उन्होंने कैसे भगवान कृष्ण की एक मुस्लिम भक्त की मूर्ति मंदिर में स्थापित करवा दी। और कैसे हर जाति और धर्म के लोग ब्राह्मण कुल में जन्मे इस महान संत के शिष्य बन गए।

महान हिदु संत रमानुजाचार्य

जगदगुरु रामानुजाचार्य जी जिनको महान हिंदु संत माना जाता है और उनके बारे में आपको बताएं, उससे पहले आपको थोड़ी जानकारी पहले जगद्गुरू आदि शंकराचार्य जी के बारे में देते हैं। भारत में सनातन धर्म जब कर्मकांडों के जाल और जातिवाद के जहर से आपस में बंट रहा था तब 8वीं सदी में जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने जातिवाद के जहर से मुक्त कराने के लिए अद्वैत का सिद्धांत दिया था। इस सिद्धांत के मुताबिक सभी मानव चाहे किसी भी धर्म और जाति के हों, ईश्वर के ही अंश हैं और इस माया रुपी झूठे संसार में भटक रहे हैं। शंकर के इस सिद्धांत ने ही देश में निचली जातियों के अंदर एक समानता का भाव भरा और निर्गुण पंरपरा का विकास शुरु हुआ।

आदि शंकराचार्य ने समाज में समानता का सिद्धांत तो दे दिया। लेकिन निराकार ब्रह्म की उपासना वास्तविकता के धरातल पर साकार नहीं हो पाई। एसे में 1017 ईस्वी में दक्षिण भारत में जन्में रामानुजाचार्य जी ने भक्ति आंदोलन की नींव रखी। भक्ति का ये आंदोलन बिना भेदभाव सबके लिए था। इस आंदोलन को स्थापित करने के लिए सबसे पहले उन्होंने आदि शंकराचार्य के इस सिद्धांत का खंडन किया कि ईश्वर का स्वरुप सिर्फ निराकार ही है।

रामानुजाचार्य के अनुसार निराकार ब्रह्म साकार रूप भी धारण कर सकता है। और उनकी पूजा किसी भी स्वरुप या मूर्ति के रुप में की जा सकती है। दक्षिण भारत के अलावार और नयनार संतों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने ईश्वर के सगुण रुप की पूजा को प्रचारित किया। रामानुजाचार्य जी ने सगुण भक्ति को मोक्ष के लिए जरूरी और सहज माना। जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी ने सगुण परंपरा का प्रचार किया और ईश्वर की मूर्ति की पूजा का प्रचार किया।

रामानुजाचार्य विशिष्टाद्वैत

रामानुज का कहना था कि चूंकि ईश्वर ने ही इस संसार को बनाया है, तो ईश्वर का बनाया संसार झूठा या मिथ्या नहीं हो सकता। ब्रह्म और उसकी सृष्टि एक हो कर भी उनके बीच विभेद हो सकता है। उनका ये सिद्धांत दर्शनशास्त्र में विशिष्टाद्वैत के नाम से प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि जीव ईश्वर में वापस तभी मिल सकता है, जब उसे या तो ईश्वर की अनुकंपा प्राप्त हो या फिर वो अपने भक्ति कर्म के द्वारा ईश्वर में मिल जाए।

रामानुजाचार्य विशिष्टाद्वैत सिद्धांत में भक्ति के द्वारा ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताया गया है। ये भक्ति सभी जीवों को प्राप्त है चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का हो। भक्ति के इस सिद्धांत को रामानंद उत्तर भारत लेकर आए। रामानंद के ही शिष्य कबीर, तुलसी, रैदास, मीरा आदि हुए। जो अलग-अलग जाति और धर्म से जुड़े थे। तुलसी ब्राह्मण परिवार से थे। तो रैदास दलित। .मीरा क्षत्रियु कुल की थीं। तो कबीर को पालने वाले माता-पिता मुस्लिम जुलाहा थे। . रामानुजाचार्य के इस आंदोलन को मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने भी अपनाया और दलित हिंदुओं ने भी सहज स्वीकार किया।

रामानुजाचार्य का जीवन परिचय

रामनुजाचार्य जी से पहले जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने भी जाति प्रथा का विरोध किया था लेकिन रामानुजाचार्य जी ने दलितों और मुस्लिमों के लिए मंदिरों के द्वार भी खोल दिये। रामानुजाचार्य जी ने दलितों के मंदिर प्रवेश की वकालत की। उनके द्वारा स्थापित एक मंदिर में एक महान मुस्लिम भक्त राजकुमारी बीबी नचियार की पूजा के लिए उनकी मूर्ति स्थापित की गई। बीबी नचियार दिल्ली सल्तनत की एक मुस्लिम राजकुमारी थी और भगवान की बहुत बड़ी भक्त थीं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की भक्ति में इतनी लीन हुईं की भगवान की मूर्ति में ही विलीन हो गईं। जिसके बाद रामानुजाचार्य ने मंदिर में बीबी नचियार की मूर्ति स्थापित की।

आज पूरे भारत जो भी भक्ति का स्वरुप है वो रामानुजाचार्य के ही सिद्धांत विशिष्टाद्वैत की देन है। भक्ति की इस परंपरा में निर्गुण अर्थात निराकार ईश्वर की अराधना के साथ-साथ सगुण अर्थात ईश्वर के मूर्ति रुप की पूजा भी शामिल थी। रामानुज ने शुष्क और भावना रहित निर्गुण परंपरा का विरोध कर एक ऐसी नई भक्ति परंपरा का उद्धोष किया जिसमें हर जाति और धर्म के लिए जगह थी। आज हिंदू राष्ट्र के आंदोलन में भी यही भक्ति परंपरा आधारशिला बन रही

author avatar
The Karma
See Full Bio
Tags: महान हिंदू संत रामानुजाचार्य
ShareTweet

Recommended videos

श्रीराम ने वालि को छिप कर नहीं मारा था

श्रीराम ने वालि को छिप कर नहीं मारा था

11 VIEWS
December 20, 2024
हनुमान जी वानर थे या इंसान क्या है रामायण का सच?

हनुमान जी वानर थे या इंसान क्या है रामायण का सच?

66 VIEWS
December 20, 2024
महाभारत में भी है श्रीराम की रामायण कथा

महाभारत में भी है श्रीराम की रामायण कथा

48 VIEWS
December 20, 2024
कोहे नूर हीरे की कहानी

कोहे नूर हीरे की कहानी

24 VIEWS
December 20, 2024
क्या चुनाव के बाद आ गया VOTE JIHAD का पहला नतीजा? क्या जिहाद के दबाव में चल रही हैं CONGRESS?

क्या चुनाव के बाद आ गया VOTE JIHAD का पहला नतीजा? क्या जिहाद के दबाव में चल रही हैं CONGRESS?

37 VIEWS
March 2, 2025
UNTOLD RAMAYANA | क्या वाल्मिकी जी से पहले भी किसी ने रामायण लिखी थी ?

UNTOLD RAMAYANA | क्या वाल्मिकी जी से पहले भी किसी ने रामायण लिखी थी ?

33 VIEWS
March 2, 2025
  • About Us
  • Contact Us
  • Hindu Mythology
  • Home
  • Home 1
  • Home 2
  • Home 3
  • Latest
  • Myth & Truth
  • News Blog
  • Privacy Policy
  • Sanatan Ecosystem
  • Terms of Use
  • The Karma English
  • Trending
Call us: +1 234 JEG THEME

Copyright 2024

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • Home
  • Categories
    • Dharm Gyan
    • Hindu Mythology
    • Myth & Truth
    • Sanatan Ecosystem
    • Sanatan Glory
    • Sanatan Lifestyle
    • Science & Spirituality
    • The Karma English
  • Contact Us
  • About Us

Copyright 2024