विज्ञान में नए होने वाले रिसर्च के बाद कई वैज्ञानिकों ने ये मानना शुरू कर दिया है कि कुछ ऐसी अभौतिक या नॉन-फिजिकल चीजें हैं जो वास्तव में इस भौतिक जगत को कंट्रोल करती हैं एक तरफ जहां क्वांटम एंटैंगलमेंट की थ्योरी आत्मा की अमरता और पुनर्जन्म की तरफ साफ इशारा करती है तो वहीं 2012 में हिग्स बोसान को गॉड पार्टिकल नाम दिया जाने को मात्र संयोग नहीं कहा जा सकता महान वैज्ञानिक आइंस्टीन भी अपने वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर ईश्वर की बात करते थे विज्ञान ने अपनी पूरी क्षमता के साथ उस गॉड, ईश्वर या भगवान की तरफ साफ-साफ इशारा कर दिया है लेकिन उसे अनुभव कैसे किया जाए विज्ञान के पास तो ईश्वर को साफ-साफ अनुभव करने का साधन नहीं है लेकिन ईश्वर को जानने का साधन भारत के महान योगियों के पास है इस साधन को क्रियायोग, राजयोग, शिवयोग आदि कई नामों से जाना जाता है योग का अर्थ ही है ईश्वर से जुड़ना
5000 साल के जिंदा योगी महावतार बाबाजी ने 25 जुलाई 1920 को भविष्यवाणी की थी कि “क्रियायोग जोकि ईश्वर की अनुभूति पाने की एक वैज्ञानिक तकनीक है, आखिर में सभी देशों में फैल जाएगी और मानव को निजी रूप से अतिश्रेष्ठ परमपिता का बोध होगा जिससे देशों के बीच मधुर सम्बन्ध बनाने में मदद मिलेगी।”
महावतार बाबाजी की भविष्यवाणी के बाद अब बात करते हैं उन 5000 साल के इन महायोगी की इन महायोगी को पूरी दुनिया महावतार बाबा, बाबाजी, महामुनि बाबा, त्रयंबक बाबा, शिव बाबा के नाम से जानती है कहा जाता है कि महावतार बाबा जी 5000 साल से इस पृथ्वी पर जिंदा हैं लेकिन दिखते हैं 21-22 साल के युवा जैसे इनके जन्म के बारे में ठीक-ठीक जानकारी किसी को नहीं हैं इन्होंने मृत्यु को जीत लिया है ये कायानिर्माण कर सकते हैं कायानिर्माण शक्ति के कारण ही इनका शरीर हमेशा युवा रहता है।
क्या परमहंस योगानंद की मुलाकात महावतार बाबाजी के बारे में पूरी दुनिया को व्यापक रूप से तब पता चला जब परमहंस योगानंद जी ने अपनी पुस्तक ऑटोबॉयोग्राफी ऑफ एन योगी लिखी इस पुस्तक में उन्होंने अपने ‘गुरु के गुरु के गुरु’ के रूप में महावतार बाबा जी का जिक्र किया है परमहंस योगानंद जी के गुरु युत्तेश्वर गिरि थे और युत्तेश्वर गिरि के गुरु लाहिड़ी महाशय थे और लाहिड़ी महाशय के गुरु महावतार बाबा जी थे महावतार बाबा जी के बारे में यह भी माना जाता है कि उन्होंने आदि शंकराचार्य को क्रियायोग की दीक्षा थी बाद में कबीर दास को भी उन्होंने क्रियायोग में दीक्षित किया।
आधुनिक काल में सबसे पहले लाहड़ी महाशय ने महावतार बाबा से मुलाकात की थी उसके बाद लाहड़ी महाश्य के शिष्य युत्तेश्वर गिरि ने 1894 में इलाहाबाद कुंभ मेले में उनसे मुलाकात की थी जिन लोगों ने भी उन्हें देखा है, हमेशा उनकी उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच ही बताई है।
परमहंस योगानंद जी जब महावतार बाबा से मिले थे तो वे सिर्फ 19 साल के नजर आ रहे थे योगानंद ने किसी चित्रकार की मदद से महावतार बाबा का चित्र भी बनवाया था, वही चित्र आज सभी जगह दिखाई देता है परमहंस योगानंद को महावतार बाबाजी ने 25 जुलाई 1920 में दर्शन दिए थे इस मुलाकात के दौरान ही महावतार बाबा जी ने अपनी भविष्यवाणी करते हुए योगानंद जी से कहा था– “तुम वही हो जिसे मैंने पश्चिमी देशों में क्रिया योग की शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने के लिए चुना हैं। बहुत पहले मैं तुम्हारे गुरु युक्तेश्वर से कुम्भ मेले में मिला था, मैंने उनसे कहा कि मैं तुम्हे उनके पास प्रशिक्षण के लिए भेजूंगा। क्रिया योग जोकि ईश्वर का बोध प्राप्त करने के लिए एक वैज्ञानिक तकनीक हैं, आखिर में सभी देशों में फैल जाएगी, और मानव के निजी, अतिश्रेष्ठ परमपिता के बोध से देशों के बीच मधुर सम्बन्ध बनाने में मदद करेगी।”
कहा जाता है कि वर्तमान में पूना के योगीराज गुरुनाथ सिद्धनाथ जी भी महावतार बाबाजी से मिल चुके हैं उन्होंने बाबाजी पर एक किताब भी लिखी है जिसका नाम ‘द लाइटिंग स्टैंडिंग स्टील’ है दक्षिण भारत के श्री एम. भी महावतार बाबाजी से कई बार मिल चुके हैं कहा जाता है कि सन् 1954 में बद्रीनाथ स्थित अपने आश्रम में बाबाजी ने अपने एक महान भक्त एस ए ए रमैय्या को संपूर्ण 144 क्रियाओं की दीक्षा दी थी यह भी कहा जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अपनी युवावस्था में हिमालय में तपस्या कर रहे थे तो उन्हें महावतार बाबा जी के दर्शन हुए थे नरेंद्र मोदी हिमालय छोड़कर वापस नहीं जाना चाहते थे लेकिन महावतार बाबा जी ने ही उन्हें संसार के बीच रहकर काम करने के लिए कहा था साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत भी महावतार बाबा के भक्त हैं रजनीकांत ने 2002 महावतार बाबाजी पर ‘बाबा’ फिल्म बनाई थी इस फिल्म के राइटर खुद रजनीकांत थे।
महावतार बाबा की गुफा भी है जो उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में में स्थित है यह पवित्र गुफा कई संतों और महापुरुषों की ध्यान स्थली रही है फिल्म अभिनेता रजनीकांत और जूही चावला भी बाबा की गुफा के दर्शन को आते रहे हैं माना जाता है कि शिवालिक की इन पहाड़ियों में महावतार बाबाजी ने कई योगियों को दर्शन दिए हैं।
महावतार बाबा जी से जुड़ी दो घटनाएं काफी प्रचलित हैं इनका जिक्र परमहंस योगानंद ने अपनी आत्मकथा में किया है योगानंद ने लिखा है कि बाबाजी एक बार रात में अपने शिष्यों के साथ आग की धूनी लगाकर बैठे थे तभी एक जलती हुई लकड़ी को उठाकर बाबाजी ने एक शिष्य के कंधे पर दे मारा वहां बैठे शिष्यों को ये बुरा लगा तो तब बाबा ने बताया कि ऐसा करके मैंने आग में जलकर आज होने वाली इसकी मौत को टाल दिया है।
इसी तरह की दूसरी घटना का जिक्र करते हुए योगानंद लिखते हैं कि एक बार किसी तरह एक व्यक्ति बाबाजी के पास पहुंच गया और वह बाबाजी से दीक्षा लेने की जिद करने लगा बाबाजी ने जब मना कर दिया तो उसने पहाड़ से कूद जाने की धमकी थी बाबा ने कहा कि जाओ कूद जाओ और वह व्यक्ति तुरंत ही कूद गया यह दृश्य देख वहां मौजूद उनके शिष्य घबरा गए तब बाबाजी ने कहा कि पहाड़ी से नीचे जाओ और उसका शव लेकर आओ शिष्य गए और शव लेकर आए शव क्षत-विक्षत हो चुका था बाबाजी ने शव के ऊपर जैसे ही हाथ रखा, वह धीरे धीरे ठीक होने लगा और जिंदा हो गया तब बाबा ने कहा कि यह तुम्हारी अंतिम परीक्षा थी आज से तुम भी मेरी अमर टोली में शामिल हुए।
महावतार बाबा जी ने आधुनिक काल में लाहिड़ी महाशय को क्रिया योग की शिक्षा आम लोगों को देने की जिम्मेदारी सौंपी थी उसके बाद लाहड़ी महाशय के शिष्य युत्तेश्वर जी ने उसे आगे बढ़ाया फिर परमहंस योगानंद जी ने इसे पश्चिमी देशों तक पहुंचाया महावतार बाबा जी ने रहस्मयी तरीके से अन्य कई लोगों को इस क्रिया योग की दीक्षा दी जिसके बाद भारत और दुनिया में इसका प्रचार-प्रसार तेजी से होने लगा है क्रियायोग वास्तव में योग का आंतरिक पक्ष है योगासन,प्राणायाम आदि योग के बाह्य पक्ष हैं यह बाह्य पक्ष योग का सिर्फ 5 परसेंट ही है बाकी 95 परसेंट आंतरिक योग है जिसे क्रियायोग,राजयोग,शिवयोग आदि नामों से जाना जाता है योगासन और प्राणायाम का प्रचार-प्रसार पूरी दुनिया में तेजी से हो रहा है बड़ी तादाद में लोग इसे अपनाने लगे हैं इसके अलावा भारत के आध्यात्मिक संतों के माध्यम से आंतरिक योग से भी लोग बड़ी संख्या में परिचित हो रहे हैं और अपना रहे हैं सद्गुरू जग्गी वासुदेव के योग-आध्यात्म के शिविरों में फिल्म, बिजनेस से लेकर राजनीति तक और अमेरिका से लेकर जापान तक के लोग योग साधना करते मिल जाएंगे इस तरह की तस्वीर दूसरे आध्यात्मिक संतों के शिविरों में भी दिखती है कहा जाता है कि महवतार बाबा के दिमाग में पूरी दुनिया के लिए एक योजना है जो साकार होगी भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रयास से 2015 में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया और हर साल पूरी दुनिया इस दिन योग और आसन करती दिखती है इन सब चीजों पर गौर करें तो हम कह सकते हैं कि 5000 साल के महायोगी का सपना साकार होने में अब ज्यादा वक्त नहीं है ऐसा कहा जाता है कि महावतार बाबा के बारे में वही चीज लिखी या बताई जा सकती है जिसकी इजाजत वो देते हैं और वही उनके बारे में जान सकता है जिसे वो चाहते हैं हम सब बहुत भाग्यशाली हैं जो उनके बारे में जानने का अवसर हमें मिल रहा है बाबाजी को हम हृदय और आत्मा से नमन करते हैं।