Menu

  • Home
  • Trending
  • Recommended
  • Latest

Categories

  • Dharm Gyan
  • Hindu Mythology
  • Myth & Truth
  • Sanatan Ecosystem
  • Sanatan Glory
  • Sanatan Lifestyle
  • Science & Spirituality
  • The Karma English
  • Video
The Karmapath
  • English
No Result
View All Result
The Karmapath
No Result
View All Result
Home Hindu Mythology

वे मंदिर जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है | Temples Where Men are Allowed to Enter

admin by admin
July 28, 2025
0 0
0
#image_title

#image_title

0
SHARES
8
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

भारत को उसकी विविध धार्मिक परंपराओं और अनूठी आस्थाओं के लिए जाना जाता है। यहां मंदिरों की संस्कृति हजारों वर्षों से चली आ रही है, जिनमें अनेक ऐसी मान्यताएं जुड़ी हैं जो हर स्थान को विशिष्ट बनाती हैं। आपने कई बार सुना होगा कि कुछ मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है, जैसे सबरीमाला मंदिर या शनि शिंगणापुर। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है? यह बात सुनने में भले ही चौंकाने वाली लगे, लेकिन धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुछ मंदिर ऐसे हैं, जहां पुरुषों को जाना मना है। इन स्थलों पर महिलाओं को विशेष अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है। आइए भारत में स्थित इन मंदिरो के बारे में जानते है जहां पुरूषो के जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है।

सावित्री माता मंदिर, पुष्कर (राजस्थान)

राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित पुष्कर तीर्थ धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यहां भगवान ब्रह्मा का विश्व का एकमात्र मंदिर है, लेकिन इसके साथ ही एक और मंदिर है जो अपनी अलग पहचान रखता है – सावित्री माता मंदिर। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए 200 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावित्री माता भगवान ब्रह्मा की पहली पत्नी थीं। जब ब्रह्मा जी ने यज्ञ के लिए दूसरी पत्नी गायत्री से विवाह किया, तो क्रोधित होकर सावित्री माता ने ब्रह्मा को श्राप दिया कि उनकी पूजा केवल पुष्कर में ही होगी। इसके बाद वह इस पहाड़ी पर आकर तपस्या में लीन हो गईं। यह मान्यता जुड़ी है कि नवरात्रि, सावित्री अमावस्या, और कुछ विशेष अवसरों पर इस मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता है। ऐसा माना जाता है कि इन अवसरों पर देवी की शक्ति अत्यधिक जागृत होती है और पुरुषों की उपस्थिति से देवी अप्रसन्न हो सकती हैं। इसलिए केवल महिलाएं ही इन दिनों मंदिर में जाकर पूजा कर सकती हैं।

मां कामाख्या मंदिर, विशाखापट्टनम

आमतौर पर मां कामाख्या का मूल मंदिर असम में स्थित है, लेकिन विशाखापट्नम में भी मां कामाख्या का एक प्राचीन मंदिर है, जिसकी विशेषता यह है कि यहां की पुजारी महिलाएं होती हैं और पुरुषों को पूजा करने की अनुमति नहीं होती। यह स्थान महिला आध्यात्मिक नेतृत्व का उदाहरण है, जहां पुरुष केवल दर्शन के लिए उपस्थित हो सकते हैं लेकिन किसी भी धार्मिक अनुष्ठान का संचालन नहीं कर सकते।

श्रीपथ संत मंदिर, सकलडीहा

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में स्थित सकलडीहा का यह मंदिर लगभग 1800 ईस्वी में बनाया गया था। कहा जाता है कि यह मंदिर एक संत श्रीपथ की स्मृति में बनवाया गया था, और उनकी इच्छा के अनुसार आज भी कोई भी पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं करता। अगर कोई महिला अपने परिवार के साथ यहां आती है, तो पुरुष सदस्य बाहर ही प्रतीक्षा करते हैं। मान्यता है कि पुरुष के मंदिर में प्रवेश करने से अनिष्टकारी घटनाएं घट सकती हैं।

संतोषी माता मंदिर, जोधपुर

राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित संतोषी माता मंदिर में हर शुक्रवार को एक विशेष परंपरा निभाई जाती है – इस दिन केवल महिलाएं ही मंदिर में पूजा कर सकती हैं। पुरुषों का प्रवेश शुक्रवार के दिन पूरी तरह वर्जित होता है। यह परंपरा ग्रामीण महिलाओं द्वारा पीढ़ियों से निभाई जा रही है, जो माता से अपने परिवार की सुख-शांति और संतान की मंगल कामनाएं करती हैं।

देवी भगवती मंदिर, पठानमथिट्टा

केरल के पठानमथिट्टा जिले में स्थित यह मंदिर मां भगवती को समर्पित है। हर साल दिसंबर के पहले शुक्रवार को यहां एक विशेष पूजा आयोजित होती है, जिसमें सिर्फ महिलाएं ही भाग ले सकती हैं। इस दिन पुरुषों का प्रवेश मंदिर परिसर में पूरी तरह से प्रतिबंधित रहता है। यह आयोजन महिलाओं की आध्यात्मिक ऊर्जा और उनके सामूहिक प्रार्थना के विशेष दिन के रूप में मनाया जाता है।

क्या यह जेंडर भेदभाव है?

इस सवाल पर भी चर्चा होती है कि क्या यह परंपराएं लैंगिक भेदभाव को दर्शाती हैं। परंतु धार्मिक विद्वान मानते हैं कि ये परंपराएं भक्ति पर आधारित होती हैं, न कि भेदभाव पर। जिस तरह कुछ स्थानों पर महिलाओं का प्रवेश उनके विशिष्ट समय के कारण वर्जित होता है, उसी प्रकार कुछ स्थानों पर पुरुषों के प्रवेश पर रोक देवी की भावना और मंदिर की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए लगाई जाती है।

सावित्री माता मंदिर जैसी जगहों को महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में भी देखा जा सकता है, जहां उन्हें पूजा, अनुष्ठान और धार्मिक निर्णयों में प्रमुख स्थान दिया जाता है। भारत की विविध धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं समाज को एक विशेष सांस्कृतिक पहचान देती हैं। मंदिरों में प्रवेश से जुड़ी परंपराएं भी उसी आस्था और इतिहास का हिस्सा हैं। किसी मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है तो किसी में महिलाओं का – इसका उद्देश्य असमानता नहीं, बल्कि धार्मिक श्रद्धा और परंपरा का संरक्षण है।

author avatar
admin
See Full Bio

Recommended videos

इंडोनेशिया को ब्रह्मा के ज्वालामुखी से बचाने वाले गणेश: एक चमत्कारी सनातन रहस्य

इंडोनेशिया को ब्रह्मा के ज्वालामुखी से बचाने वाले गणेश: एक चमत्कारी सनातन रहस्य

25 VIEWS
September 8, 2025
मोदी की सत्ता अमरता की आयुर्वेदिक औषधि: पुतिन और शी जिनपिंग को मिला प्राचीन ज्ञान

मोदी की सत्ता अमरता की आयुर्वेदिक औषधि: पुतिन और शी जिनपिंग को मिला प्राचीन ज्ञान

9 VIEWS
September 8, 2025
बाबासाहेब अंबेडकर और हिंदू धर्म: एक अनकहा सच

बाबासाहेब अंबेडकर और हिंदू धर्म: एक अनकहा सच

3 VIEWS
September 8, 2025
श्री नारायण गुरु: सनातन धर्म के सुधारक और संरक्षक

श्री नारायण गुरु: सनातन धर्म के सुधारक और संरक्षक

8 VIEWS
September 8, 2025
भारत के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और मोदी की रणनीति

भारत के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और मोदी की रणनीति

11 VIEWS
August 29, 2025
Osho

Osho और America: एक दार्शनिक की अनकही कहानी

61 VIEWS
August 29, 2025
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms of Use

Copyright 2024

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • Home
  • Categories
    • Dharm Gyan
    • Hindu Mythology
    • Myth & Truth
    • Sanatan Ecosystem
    • Sanatan Glory
    • Sanatan Lifestyle
    • Science & Spirituality
    • The Karma English
  • Contact Us
  • About Us

Copyright 2024