कैसे दिखते थे प्रभु श्रीराम
राम कथाओं में श्रीराम और उनके चरित को बताया गया है कि भगवान ने श्रीराम के रूप में अवतार लेकर किस तरह संसार में नए युग की स्थापना की और देवताओं की रक्षा करते हुए पृथ्वी से समस्त दुराचारियों का नाश कर दिया। उन भगवान श्रीराम के चित्र का दर्शन करने के लिए हम वाल्मीकिरामायाण और रामचरितमानस के कुछ पन्नों को पलटते हैं और श्लोकों और चौपाइयों के माध्यम से भगवान का दर्शन करते हैं। और बचपन में कैसे दिखते थे तथा भगवान राम 21 साल में कैसे दिखते थे। भगवान के हर चरित को वाल्मीकिरामायण में बताया गया है।
भगवान श्री राम 21 साल की उम्र में कैसे दिखते थे दरअसल भगवान राम के असली चरित को वाल्मीकिरामायण या रामचरितमानस तथा और भी रामकथा पर आधारित ग्रंथों में लिखा गया है रामचरितमानस के उस प्रसंग को जानते हैं जब महर्षि वशिष्ठ महाराज दशरथ को चारो पुत्रों का नाम करण संस्कार करके उनकी जोड़ी को भी नियुक्त करते हैं श्रीराम के साथ लक्ष्मण और भरत के साथ शत्रुघ्न की जोड़ी बनाते हैं-
बारेहि ते निज हित पति जानी।
लक्षिमन राम चरन रति पानी। ।2
स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी।
निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी।।3
(रामचरितमानस,बालकाण्ड,दोहा-197)
बचपन से ही लक्ष्मण ने श्रीराम को अपना स्वामी मान लिया था सांवले राम और गोरे लक्ष्मण की जोड़ी को देखकर तीनों माताएं कहती थीं कि इनकी जोड़ी को किसी की नजर ना लगे अब यहां तुलसीदास ने भगवान श्रीराम को सांवला और लक्ष्मण को गोरा बताया है इससे ये पता चलता है कि भगवान श्रीराम श्याम वर्ण के थे। भगवान के शरीर का वर्ण या रंग तो रामकाथाओं में सांवला ही बताया गया है।
श्रीराम के रूप में अवतरित परमात्मा भगवान विष्णु ने देवताओं के कार्य को पूर्ण करने के लिए तथा सृष्टि में धर्म की स्थापना के लिए माता पिता की आज्ञा का सहारा लेकर वन को जाते हैं और उनके साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण और उनकी धर्म पत्नी माता सीता भी जाती हैं। जंगल का रास्ता अत्यधिक कठिन होने के कारण चलते-चलते माता सीता थक जाती हैं तभी एक गांव में तीनों विश्राम करते हैं उस गांव की स्त्रियां माता सीता से पूंछती हैं कि तुम्हारे साथ ये सुन्दर पुरुष कौन हैं-
स्यामल गोर किसोर बर सुंदर सुषमा ऐन।
सरद सर्बरीनाथ मुखु सरद सरोरुह नैन। ।02
(रामचरितमानस,अयोध्याकाण्ड)
सांवले और गोरे सुन्दर जवान शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान मुख वाले तथा कमल के समान नेत्र वाले ये दोनो कौन हैं तब माता सीता बताती हैं कि गोरे वाले मेरे देवर हैं और सांवले वाले मेरे पति हैं यहां भी तुलसीदासजी ने भगवान श्रीराम को सांवला बताया है।
भगवान राम को श्याम वर्ण ही कहा जाता है वाल्मीकिरामायण के अनुसार भगवान श्रीराम के दर्शन करते हैं भगवान श्रीराम कैसे दिखते थे जब महाबली हनुमान समुद्र पार करके लंका में जाकर माता सीता की खोज कर लेते हैं और उनके सामने जाकर कहते हैं कि मैं भगवान राम का दूत हूं तो माता को विश्वास नहीं होता उनको इसमें भी रावण की कोई माया ही नजर आती है क्योंकि रावण ने अपनी माया से कई बार श्रीराम का सहारा लेकर माता सीता से विवाह करना चाहा था तब महाबली हनुमान अपने रामदूत का परिचय देते हुए भगवान श्रीराम के शरीर की संरचना के बारे में बताते हैं-
त्रिस्थिरस्त्रिप्रलम्बश्च त्रिसमस्त्रिषु चोन्नचः।
त्रिताम्रस्तरिषु च स्निग्धो गम्भीरस्त्रिषु नित्यशः।।17
(वाल्मीकिरामायण,सुन्दरकाण्ड,सर्ग-35)
हनुमान जी कहते हैं कि भगवान श्रीराम के कंधे मोटे, भुजाएं बड़ी-बड़ी, गला शंख के समान और मुख सुन्दर ,शरीर का रंग सुन्दर वा चिकना उनके तीन अंग छाती, कलाई, और मुठ्ठी मजबूत हैं। भौंहें और भुजाएं लंबी हैं छाती नाभि के किनारे का भाग और पेट ये तीनों उभरे हुए हैं आंखों के कोने, नाखून और हांथ पैर के तलवे लाल हैं दोनो पैरों की रेखाएं और सिर के बाल चिकने हैं स्वर चाल और नाभि ये तीन गंभीर हैं तथा उनके मस्तक पर तीन रेखाएं बनती हैं।
हनुमान जी भगवान राम के शरीर के बारे में माता सीता को बताते हुए कहते हैं कि श्रीराम और लक्ष्मण दोनो के शरीर में कोई अन्तर नहीं हैं केवल उनके शरीर के रंगों का अन्तर है-
स सुवर्णच्छविःश्रीमान् रामः श्यामो महायशः।।23
(वाल्मीकिरामायण,सुन्दरकाण्ड,सर्ग-35)
हनुमान जी के द्वारा कहा गया ये श्लोक हमें बताता है कि राम और लक्ष्मण में केवल अन्तर इतना है कि लक्ष्मण के शरीर की चमक सोने के समान गोरी थी वहीं भगवान श्रीरामचन्द्र के शरीर का रंग सांवला है। श्रीराम और लक्ष्मण के शरीर की बनावट हूबहू मिलती जुलती थी केवल अन्तर उनके रंग का था जहां लक्ष्मण गौर रंग के थे वहीं श्रीराम श्यमवर्ण के थे
रामचरितमानस से भगवान श्रीराम के सांवले शरीर का चित्रण और वाल्मीकिरामायण में बताए गए भगवान राम के श्याम वर्ण होने के बारे में बताया है जो हनुमान जी माता सीता से बताते हैं हम आपको बता दें कि वाल्मीकिरामायण श्रीरामचन्द्र के समय में ही लिखी गई थी महर्षिवाल्मीकि ने भगवान राम के आंखों देखे चरित का वर्णन अपनी पुस्तक में किया है।