जब नाश मनुज पर छाता है, तो पहले विवेक मर जाता है।” यह कहावत आज के दौर में अभिनेता और राज्यसभा सांसद कमल हासन पर पूरी तरह से सटीक बैठती है। हाल ही में कमल हासन ने सनातन धर्म को लेकर एक और विवादित बयान दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि “शिक्षा ही एकमात्र हथियार है, जो तानाशाही और सनातन धर्म की जंजीरों को तोड़ सकता है।” इस बयान ने सनातन धर्म के अनुयायियों के बीच रोष पैदा कर दिया है। कमल हासन, जो कभी अपने अभिनय और कला के लिए जाने जाते थे, अब सनातन धर्म के सबसे बड़े विरोधियों में गिने जाने लगे हैं। इस लेख में हम कमल हासन के इस बयान का खंडन करेंगे, उनके सनातन विरोधी रुख के पीछे की वजहों का विश्लेषण करेंगे, और यह समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति सनातन धर्म को गलत नजरिए से पेश कर रहा है।
कमल हासन का विवादित बयान
4 अगस्त 2025 को चेन्नई में तमिल अभिनेता सूर्या के अगरम फाउंडेशन के 15वीं वर्षगांठ के एक कार्यक्रम में कमल हासन ने यह विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा, “शिक्षा ही वह हथियार है, जो तानाशाही और सनातन धर्म की जंजीरों को तोड़ सकता है। कुछ और चीजें हाथ में लेने से जीत नहीं मिलेगी, क्योंकि बहुसंख्यक मूर्ख आपको हरा देंगे।” यह बयान न केवल सनातन धर्म को निशाना बनाता है, बल्कि इसे तानाशाही के साथ जोड़कर हिंदू भावनाओं को आहत करने वाला माना गया है।
कमल हासन का यह बयान पहली बार नहीं है, जब उन्होंने सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी की हो। इससे पहले भी वे कई बार सनातन धर्म और हिंदू परंपराओं को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं। उदाहरण के लिए, उन्होंने सनातन धर्म को सामाजिक असमानता को बढ़ावा देने वाली विचारधारा बताया और नाथूराम गोडसे को “हिंदू आतंकवादी” कहकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी। लेकिन इस बार उनका बयान शिक्षा को सनातन धर्म के खिलाफ हथियार के रूप में पेश करने वाला है, जिसने उनके इरादों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
सनातन धर्म और शिक्षा: सच्चाई क्या है?
कमल हासन ने अपने बयान में सनातन धर्म को “जंजीर” बताकर इसे शिक्षा के विरोधी के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है। लेकिन सनातन धर्म का मूल सिद्धांत ही शिक्षा और ज्ञान पर आधारित है। सनातन धर्म केवल अंधविश्वास या रूढ़ियों पर टिका नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, कर्म, और भक्ति के रास्ते ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग दिखाता है।
- ज्ञान योग: यह सनातन धर्म का एक प्रमुख मार्ग है, जिसमें आत्म-ज्ञान और ब्रह्म की खोज पर जोर दिया जाता है। वेद, उपनिषद, और भगवद् गीता जैसे ग्रंथ ज्ञान के सागर हैं, जो मनुष्य को तार्किक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से शिक्षित करते हैं।
- कर्म योग: भगवद् गीता में श्रीकृष्ण द्वारा कर्म योग की शिक्षा दी गई है, जो निष्काम कर्म और कर्तव्य के पालन पर बल देता है। यह मनुष्य को अपने कार्यों को समाज के कल्याण के लिए समर्पित करने की प्रेरणा देता है।
- भक्ति योग: भक्ति योग में भी नियमों और शास्त्रों का अध्ययन आवश्यक है, क्योंकि यह भक्त को ईश्वर के प्रति समर्पण और अनुशासन सिखाता है।
सनातन धर्म में शिक्षा का अर्थ केवल किताबी ज्ञान या साक्षरता (Literacy) तक सीमित नहीं है। साक्षरता का मतलब है पढ़ना-लिखना सीखना, लेकिन शिक्षा का अर्थ है ज्ञान, कौशल, और नैतिक दृष्टिकोण का विकास, जो व्यक्ति को एक बेहतर इंसान और समाज का जिम्मेदार नागरिक बनाता है। हमारे वेद, पुराण, रामायण, और महाभारत जैसे ग्रंथ जीवन जीने की कला सिखाते हैं। रामायण हमें भगवान राम से मर्यादा और नैतिकता सिखाती है, तो महाभारत में श्रीकृष्ण हमें कर्तव्य और धर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
कमल हासन का यह दावा कि सनातन धर्म शिक्षा का विरोधी है, पूरी तरह से तथ्यहीन है। सनातन धर्म ने हमेशा ज्ञान और शिक्षा को सर्वोच्च स्थान दिया है। गुरुकुल परंपरा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां विद्यार्थियों को न केवल किताबी ज्ञान, बल्कि नैतिकता, संस्कार, और जीवन मूल्यों की शिक्षा दी जाती थी।
कमल हासन के बयान के पीछे की प्रेरणा
कमल हासन की सनातन विरोधी बयानबाजी के पीछे उनकी डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) पार्टी से नजदीकी को प्रमुख कारण माना जा रहा है। डीएमके तमिलनाडु की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी है, जिसके नेता, जैसे मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और उनके बेटे उदयनिधि स्टालिन, सनातन धर्म के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं। उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना “डेंगू और मलेरिया” से की थी और इसे मिटाने की बात कही थी। उस समय कमल हासन ने उदयनिधि का बचाव करते हुए कहा था कि “वह बच्चा है, बच्चों से गलती हो जाती है।”
कमल हासन की मक्कल नीधि मय्यम (MNM) पार्टी को डीएमके का समर्थन प्राप्त है, और उनकी राज्यसभा सांसद की सीट भी डीएमके के सहयोग से मिली है। तमिलनाडु बीजेपी की नेता तमिलसाई सुंदरराजन ने कमल हासन पर आरोप लगाया है कि वे डीएमके के प्रति वफादारी दिखाने के लिए हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में हिंदुओं का अपमान करना एक फैशन बन गया है। कमल हासन का यह बयान डीएमके की विचारधारा के साथ तालमेल बिठाने और गैर-हिंदू वोट बैंक को आकर्षित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
धार्मिक कारण: क्रिप्टो क्रिश्चियन का आरोप
कमल हासन पर “क्रिप्टो क्रिश्चियन” होने का भी आरोप लगाया गया है। क्रिप्टो क्रिश्चियन वे लोग हैं, जो बाहरी तौर पर गैर-ईसाई दिखते हैं, लेकिन आंतरिक रूप से ईसाई धर्म, विशेष रूप से कट्टर कैथोलिक सिद्धांतों, में विश्वास रखते हैं। कुछ सूत्रों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के अनुसार, कमल हासन ने सार्वजनिक रूप से “वर्ड ऑफ क्राइस्ट” (बाइबल के सिद्धांत) को फैलाने की इच्छा जताई है, जबकि सनातन धर्म को “जहर” और सामाजिक असमानता का कारण बताया है।
उनके इस रुख को दक्षिण भारत में सनातन धर्म के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि कमल हासन का सनातन विरोधी रुख उनकी धार्मिक पहचान से प्रेरित है, जिसे वे सार्वजनिक रूप से उजागर करने से बचते हैं। उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आई हैं, जिसमें कई लोगों ने उन्हें हिंदू विरोधी और राष्ट्रविरोधी तक कहा है।
कमल हासन का इतिहास: बार-बार विवाद
कमल हासन का सनातन धर्म और हिंदू परंपराओं के खिलाफ बयान देना कोई नई बात नहीं है। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- हिंदू आतंक : 2019 में एक चुनावी सभा में कमल हासन ने नाथूराम गोडसे को “हिंदू आतंकवादी” बताया था, जिससे हिंदू संगठनों में भारी रोष फैला।
- चोल वंश का अपमान: कमल हासन ने दावा किया था कि चोल वंश के राजा राजाराजा चोल हिंदू नहीं थे, जबकि ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि उन्होंने प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण कराया था।
- कन्नड़ भाषा विवाद: जून 2025 में अपनी फिल्म ठग लाइफ के ऑडियो लॉन्च के दौरान कमल हासन ने कहा कि कन्नड़ भाषा तमिल से जन्मी है, जिसका कन्नड़ संगठनों ने तीखा विरोध किया।
सनातन धर्म का सम्मान और कमल हासन की जिम्मेदारी
कमल हासन का यह बयान न केवल तथ्यहीन है, बल्कि एक राज्यसभा सांसद के रूप में उनकी जिम्मेदारी को भी कमजोर करता है। तमिलनाडु बीजेपी की नेता तमिलसाई सुंदरराजन ने कहा कि कमल हासन को अपनी स्थिति के प्रति अधिक जिम्मेदार होना चाहिए, क्योंकि उनके बयान समाज में विभाजन पैदा करते हैं। सनातन धर्म लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है, और इसे “जंजीर” कहना न केवल अपमानजनक है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाता है। सनातन धर्म हमेशा से शिक्षा, ज्ञान, और नैतिकता का समर्थक रहा है। यह वह धर्म है, जिसने विश्व को वेदों, उपनिषदों, और गीता जैसे ज्ञान के भंडार दिए हैं। कमल हासन का यह दावा कि सनातन धर्म शिक्षा का विरोधी है, उनकी अज्ञानता या जानबूझकर की गई गलतबयानी को दर्शाता है।
कमल हासन के बार-बार सनातन धर्म के खिलाफ बोलने के पीछे उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएँ और संभावित धार्मिक पहचान प्रमुख कारण हो सकते हैं। उनकी डीएमके से नजदीकी और क्रिप्टो क्रिश्चियन होने के आरोप उनके बयानों को एक खास दिशा देते हैं। लेकिन सनातनी होने के नाते हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारा धर्म शिक्षा, ज्ञान, और एकता का प्रतीक है। कमल हासन जैसे बयानों से विचलित होने के बजाय, हमें अपने शास्त्रों और परंपराओं पर गर्व करना चाहिए, जो हमें उच्च नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य प्रदान करते हैं। क्या कमल हासन के ये बयान उनकी निजी मान्यताओं का परिणाम हैं, या यह केवल राजनीतिक लाभ के लिए है? यह सवाल विचारणीय है। लेकिन एक बात निश्चित है—सनातन धर्म की नींव इतनी मजबूत है कि ऐसे बयान इसके गौरव को कम नहीं कर सकते।