माथे पर तिलक क्यों लगाते हैं -क्या है इसका वैज्ञानिक महत्व
हिंदू धर्म में पूजा पाठ के बाद या किसी धार्मिक आयोजन में या फिर घर से बाहर जाते समय तिलक या टीका क्यों लगाते हैं। इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या हैं। इसके क्या फायदे हैं। तिलक लगाने का तरीका क्या है तिलक या टीका लगाने के वैज्ञानिक फायदे क्या हैं यह हमारे जीवन में सफलता हासिल करने में कैसे मददगार साबित होता है।
तिलक या टीका लगाने के वैज्ञानिक कारण और फायदे आपको बताएं उससे पहले तिलक या टीका लगाने का महत्व आपको बताते हैं। तिलक लगाने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व यह है कि हिंदू धर्म के अनुसार टीका लगाना जरूरी माना जाता है। प्राचीन ग्रंथ में मिले एक श्लोक के अनुसार ललाट पर तिलक लगाए बिना अगर आप तीर्थ यात्रा करते हैं, पूजा-पाठ, यज्ञ, दान और पितरों का श्राद्ध करते हैं। तो वे सभी कर्म निष्फल हो जाते हैं। इसका मतलब है बिना टीका लगाए किए गए धार्मिक कार्य का कोई फल नहीं मिलता। उनका करना या ना करना बराबर है। पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक तिलक के बांयी ओर ब्रह्मा जी, दायीं ओर सदाशिव और मध्य में श्री विष्णु जी विराजमान होते हैं। हिंदू धर्म में सुहागिन स्त्रियां लाल कुमकुम का तिलक या बिंदी लगाती हैं। लाल रंग ऊर्जा और स्फूर्ति का प्रतीक होता है। बिंदी महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। तिलक लगाना देवी की आराधना से भी जुड़ा है। तिलक देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
तिलक लगाने का आध्यात्मिक महत्व।
हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं। इन्हें ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है। इन्हीं सात चक्रों में ऊपर से दूसरा चक्र आज्ञा चक्र होता है। जो मस्तक के बीचों-बीच होता है। इस स्थान पर तिलक या टीका लगाने से आज्ञा चक्र जाग्रत होता है जिससे व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
तिलक लगाने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व तो आप ने जान लिया। अब आपको इसका वैज्ञानिक महत्व बताते हैं । साथ ही ये भी बताते हैं कि तिलक लगाना आपकी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है। । मस्तक पर जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है। उस स्थान के पास ही हमारी पीनियल ग्लैंड होती है। तिलक या टीका लगाने से पीनियल ग्लैंड से होने वाले हॉर्मोन्स बीटाएंडोरफिन और सेराटोनिन का स्राव सही तरीके से होता रहता है। ये हॉर्मोन ही हमारे शारीरिक और मानसिक विकास का आधार होते हैं। इन हॉर्मोन के स्राव में थोड़ी भी गड़बड़ी होने पर मनुष्य की शारीरिक और मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। इनसे एकाग्रता बढ़ती है, गुस्सा और तनाव कम होता है और सकारात्मक सोच विकसित होती है।
तिलक लगाना है मनोवैज्ञानिक नजरिया, मनोविज्ञानिकों का मानना है की ललाट शरीर का मुख्य केंद्र बिंदु होता। जब हम किसी के सामने खड़े होते हैं तो सामने वाले का पहला ध्यान हमारे मस्तक पर ही जाता है। तिलक ललाट की शोभा को बढ़ाता है और जिससे सामने वाला आपके व्यक्तित्व से आकर्षित रहता है।
सनातन धर्म में कुमकुम चंदन भस्म तिलक लगाने का चलन ज्यादा है। इनके अलग-अलग खास फायदे हैं। कुमकुम का तिलक हमारे आज्ञा चक्र को तेजी से जाग्रत करता है। केशर का तिलक मस्तिष्क में तेज पैदा करता है। । चंदन दिमाग को शीतलता देता है जिससे मानसिक शांति मिलती है। भस्म का तिलक हमारे अंदर वैराग्य पैदा करता है। इससे विभिन्न तरह के वायरस का नाश होता है।
इसके अलावा सप्ताह के हर दिन अलग-अलग तरह के तिलक लगाने का भी विधान है। सोमवार भगवान शंकर का दिन है। इस दिन सफेद चंदन भस्म का तिलक लगाना चाहिए। मंगलवार हनुमानजी का दिन है। इस दिन लाल चंदन या सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर तिलक लगाना चाहिए। बुधवार भगवान गणेश जी का दिन है। इस दिन सिर्फ सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए। गुरुवार को सफेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए। गुरुवार को केशर या हल्दी का तिलक भी लगा सकते हैं। शुक्रवार मां लक्ष्मी का दिन है। इस दिन लाल चंदन का तिलक लगाना चाहिए। शुक्रवार को लाल चंदन का तिलक लगाने से भौतिक-सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है। शनिवार के दिन लाल चंदन, विभूति या भस्म का टीका लगाना चाहिए। रविवार को भगवान विष्णु और सूर्य देव का दिन माना जाता है। इस दिन हरि चंदन या लाल चंदन का टीका लगाना चाहिए। आज हमने अपने इस वीडियो में तिलक या टीका लगाने के फायदे बताए हैं। ये वीडियो आपको जरूर अच्छा लगा होगा। इसे लाइक और शेयर करें। कोई सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में दें।