क्या आपने कभी सोचा है कि भारत से बाहर भी कोई ऐसी जगह है जहाँ भगवान श्रीराम की पूजा होती है, रामायण गूंजती है, और राजा खुद को राम का वंशज मानते हैं? यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि सच्चाई है। Thailand का ऐतिहासिक शहर अयुथ्या (Ayutthaya) भारत की अयोध्या से हजारों किलोमीटर दूर स्थित होकर भी, उसी आस्था और संस्कृति की जीवंत मिसाल है।
अयोध्या से अयुथ्या तक: ऐतिहासिक संबंध
थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक से लगभग 80 किलोमीटर उत्तर में स्थित अयुथ्या की स्थापना 1351 ईस्वी में हुई थी। इसका नाम भारत की पवित्र नगरी अयोध्या के सम्मान में रखा गया था। लगभग 400 वर्षों तक यह शहर थाई साम्राज्य की राजधानी रहा और आज यह UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में दुनियाभर के पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण है।
अयुथ्या का राम मंदिर और श्रीराम की थाई छवि
अयुथ्या में स्थित प्राचीन राम मंदिर इस शहर की धार्मिक पहचान है। यहाँ भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जो थाई कला और भारतीय संस्कृति का संगम हैं।
थाईलैंड में रामायण को “रामकियेन” कहा जाता है, जो न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है बल्कि नाट्यशास्त्र और लोक परंपरा का अभिन्न हिस्सा भी है। मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई रामकथा की झांकियाँ दोनों देशों की सांस्कृतिक निकटता को दर्शाती हैं।
रामायण कैसे पहुँची थाईलैंड?
इतिहासकारों के अनुसार, भारत से तमिल समुदाय के व्यापारी और संत जब थाईलैंड पहुँचे, तो वे रामायण और हिंदू परंपराओं को साथ लेकर आए। धीरे-धीरे वहाँ के शासकों ने श्रीराम को अपने कुलदेवता के रूप में स्वीकार किया।
1360 ईस्वी तक थाईलैंड में बौद्ध धर्म का बोलबाला था, लेकिन भगवान राम की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि शासकों ने उन्हें शाही संरक्षण दिया। आज भी थाई संस्कृति में राम का प्रभाव गहराई से देखा जा सकता है।
चक्री वंश और “राम” नाम की परंपरा
थाईलैंड के वर्तमान राजवंश – चक्री वंश – की एक अनूठी परंपरा है: हर राजा अपने नाम में “राम” शब्द जोड़ता है। इस परंपरा की शुरुआत राम प्रथम ने की थी। वर्तमान राजा महा वजीरालोंगकोर्न, जिन्हें राम दशम कहा जाता है, इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। यह परंपरा स्पष्ट करती है कि थाई राजशाही श्रीराम को केवल पूजनीय नहीं, बल्कि अपने पूर्वज के रूप में स्वीकार करती है।
भारत और थाईलैंड के सांस्कृतिक संबंध
हाल के वर्षों में भारत-थाईलैंड सांस्कृतिक सहयोग और मजबूत हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थाईलैंड यात्रा के दौरान रामकियेन की प्रस्तुति ने उन्हें भावुक कर दिया था। साथ ही, विश्व हिंदू परिषद थाईलैंड ने अयोध्या में बनने वाले श्रीराम मंदिर के लिए पवित्र जल और मिट्टी भेजी, जो दोनों देशों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक पुल का प्रतीक है।
मिस वर्ल्ड 2025 और रामभक्ति
थाईलैंड की मिस वर्ल्ड 2025 विजेता ओपल सुचाता चुंआंगसरी ने इच्छा जताई कि वे भारत की अयोध्या जाकर श्रीराम मंदिर के दर्शन करना चाहती हैं। यह उदाहरण दर्शाता है कि भगवान राम के प्रति श्रद्धा केवल भारत तक सीमित नहीं है।
निष्कर्ष: अयुथ्या – रामकथा की अंतरराष्ट्रीय झलक
थाईलैंड की अयुथ्या केवल एक ऐतिहासिक नगर नहीं, बल्कि भारत-थाईलैंड की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। भगवान राम की भक्ति ने भारत से हजारों किलोमीटर दूर एक ऐसा शहर बसाया, जहाँ आज भी रामायण जीवंत है, और श्रीराम को राज्य के आधार स्तंभ के रूप में पूजा जाता है।
अगर आप भगवान राम की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव को देखना चाहते हैं, तो अयुथ्या (Ayutthaya) आपके लिए एक अद्भुत अनुभव हो सकता है।