Menu

  • Home
  • Trending
  • Recommended
  • Latest

Categories

  • Dharm Gyan
  • Hindu Mythology
  • Myth & Truth
  • Sanatan Glory
  • Sanatan Lifestyle
  • Science & Spirituality
  • The Karma English
  • Video
The Karmapath
  • English
No Result
View All Result
The Karmapath
No Result
View All Result
Home Video

देवताओं के दिव्य बगीचे

The Karma by The Karma
March 2, 2025
0 0
0
देवताओं के दिव्य बगीचे

देवताओं के दिव्य बगीचे

घर के आसपास बाग-बगीचों या गार्डन का होना काफी अच्छा माना जाता है। बाग-बगीचे मनुष्यों को ही नहीं देवताओं को भी काफी पंसद हैं आते हैं। बाइबिल मे ईडन गार्डन का उल्लेख हुए हुआ है, यह गार्डन स्वर्ग में था जहां एडम और इव रहते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि सनातन हिंदू धर्म में भी सभी लोकों और देवताओं के अपने अपने गार्डन्स हैं जो काफी दिव्य हैं। आगे हम आपको एक-एक कर इन देवताओ के दिव्य गार्डन और उनकी खासियत के बारे में बताते हैं-

भगवान विष्णु का गार्डन

भगवान विष्णु वैकुंठ में माँ लक्ष्मी के साथ रहते हैं। उनके साथ हजारों दिव्य पार्षद रहते हैं। वैकुंठ मे भगवान विष्णु का अपना गार्डन भी है जिसे नैःश्रेयस वन कहा जाता है। वैकुंठ के इस बगीचे का जिक्र श्रीमद्भागवत के तीसरे स्कंध के अध्याय 15 में मिलता है। नैःश्रेयस वन में लगे पेड़ों की खासियत ये है कि इनसे जो कुछ भी मांगा जाए ये दे देते हैं और सारी मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं। इस वन में कभी पतझड़ का मौसम नहीं आता और ये हमेशा हरे-भरे रहते हैं। नैःश्रेयस वन में रहने वाले दिव्य कबूतर, मोर, तीतर और हंस जैसे पक्षी हमेशा भगवान विष्णु का गुणगान करते रहते हैं। यहां तुलसी के पौधों की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा रात में खिलने वाले कमल, दिन में खिलने वाले कमल और बहुत सारे फूलों के पौधे भी हैं।

इंद्र का गार्डन

इंद्र के स्वर्ग की सुख-सुविधा विख्यात है। इंद्र के स्वर्ग में एक दिव्य बगीचा भी है जिसे नंदनवन कहते हैं। इस गार्डेन में ही कल्पवृक्ष नाम का पेड़ है। ये कल्पवृक्ष समुद्र मंथन से निकला था और स्वर्ग के नंदनवन में इसे रखा गया है। इस कल्पवृक्ष की विशेषता ये है कि इससे आप जो भी मांगे ये आपको दे सकता है। इसके अलावा नंदनवन में ही पारिजात का वृक्ष भी है जो एक दिव्य वृक्ष है। इसके फूल हमेशा ताजे रहते हैं और ऐसी मान्यता है कि जो भी स्त्री पारिजात के फूलों को अपने बालों में लगाती है या इसकी माला पहनती है वो कभी विधवा नहीं होती है। नंदनवन में इन दिव्य वृक्षों के अलावा भी कई फूलों और फलों के वृक्ष हैं जो सदाबहार हैं। यहाँ भी कभी पतझड़ का मौसम नहीं आता है।

शिव-पार्वती का गार्डन

हरिवंश पुराण और महाभारत के अनुसार भगवान शिव और माँ पार्वती के कम से कम दो गार्डेन्स हैं जहाँ दोनों एक साथ घूमते हैं और फूलों और फलों का आनंद लेते हैं। हरिवंश पुराण के अनुसार जब इंद्र ने अपना पारिजात वृक्ष भगवान शंकर को देने से इंकार कर दिया तो भोलेनाथ में माँ पार्वती के लिए पारिजात के वृक्षों का एक अलग ही गार्डेन बनवा दिया। ये बगीचा मंदराचल पर्वत के आस पास है। ये गार्डेन रात के अंधेरे में भी भगवान शिव के तेज से जगमगाता रहता है। इस गार्डेन में मौसम का कोई प्रभाव नहीं दिखता है। माँ पार्वती की इच्छा से ही इस गार्डेन में गर्मी या सर्दी का मौसम आता है। इस बगीचे में माँ पार्वती, भगवान शिव, उनके गण और नारद जी के सिवा और कोई भी नहीं जा सकता है। एक बार राक्षस अंधक ने इस गार्डेन में घुसने की कोशिश की तो भगवान शिव ने उसका वध कर दिया था।

महाभारत के भीष्म पर्व के अध्याय 6 में भगवान शिव और माँ पार्वती के एक दूसरे गार्डेन का जिक्र मिलता है। ये सुमेरु पर्वत के उत्तर दिशा में स्थित है। इस वन में सिर्फ कनेर के फूलों के पेड़ हैं। यहां दिव्य भूतों से घिरे हुए साक्षात भगवान शिव पैरों तक लटकने वाली कनेर की दिव्य माला धारण किये हुए माँ पार्वती के साथ विहार करते हैं। इस गार्डेन में कोई दूसरा नहीं जा सकता है और सभी के लिए यहाँ नो इंट्री है।

भगवान कार्तिकेय का गार्डन

भगवान शिव और माँ पार्वती के गार्डेन के अलावा उनके प्रिय बेटे कार्तिकेय जी का भी अपना एक गार्डेन है जिसे सरवण वन कहा जाता है। महाभारत और रामायण में इस सरवण वन की बार बार चर्चा की गई है। रावण ने जब भगवान शिव को चुनौती देने के लिए कैलाश की यात्रा की थी तो उस वक्त नंदी महाराज ने रावण का रास्ता रोक कर कहा था कि इसके आगे वो नहीं जा सकता, क्योंकि इसके आगे भगवान कार्तिकेय का सरवण वन है जहाँ वो विहार करते हैं। सरवण का अर्थ सरकंडा होता है। सरवण वन या सरंकडों के बीच भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था इसलिए उनका एक नाम सरवण भी है।

कुबेर देव का गार्डन

कुबेर देव की राजधानी अलकापुरी में है। कुबेर धन के देवता है। कुबेर देव राक्षसों, गंधर्वों, पिशाचों और अप्सराओं के भी राजा है। इनका निवास स्थान गंधमादन पर्वत से आगे कैलाश के पास है। वास्तव में कैलाश के राजा कुबेर ही हैं, भगवान शिव सिर्फ वहाँ निवास करते हैं। कैलाश के पास मंदार पर्वत पर ही कुबेर देवता का चैत्ररथ वन है। कुबेर के इस गार्डेन का वर्णन वाल्मीकि रामायण, महाभारत सहित कई पुराणों में भी किया गया है। इस गार्डेन में कई सरोवर हैं। यह वन कई तरह के फूलों और फलों से लदा रहता है। चैत्ररथ वन में अप्सराएं नाचती हैं और गंधर्व गाने गाते हैं।

हनुमान जी का गार्डन

भगवान शिव और कुबेर के गार्डेन्स के पास ही हनुमान जी का भी अपना एक गार्डेन है। इसे कदली वन कहा जाता है। कदली वन यानी की केले का बगीचा। महाभारत और कई अन्य ग्रंथों में हनुमान जी के इस गार्डेन का वर्णन मिलता है। हनुमान जी को यहाँ माँ सीता के वरदान से केले के अलावा सभी प्रकार के फल और भोजन मिलते रहते हैं। यहाँ दिव्य गंधर्व आकर हनुमान जी को रोज रामकथा भी सुनाते हैं।

भगवान राम का गार्डन

वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड के सर्ग 42 में श्रीराम माँ सीता को अयोध्या के अशोक वनिका में ले जाते हैं और वहाँ दोनों खूब आनंद से घूमते फिरते हैं। अशोक वनिका ही भगवान राम का गार्डन है। अयोध्या के अशोक वनिका गार्डेन में चंदन, आम, नारियल के पेड़ लगे हुए थे। इसके अलावा कई फूलों जैसे चम्पा, महुआ और ऐसे हजारों फूलों के पेड़ लगे हुए थे। श्रीराम और माँ जानकी के इस गार्डेन में कोयल, तोता, मैना, पपीहा, हंस, और मोर जैसे कई पक्षी भी रहते थे। इस गार्डेन में एक स्वीमिंग पूल जैसा सरोवर भी था। इस सरोवर में कमल के फूल खुले हुए थे और इस तालाब की सीढ़ियों पर कई रत्न जवाहरात जड़े थे। प्रभु श्रीराम की बात होगी तो रावण की भी चर्चा होगी ही। लंका के राजा रावण के पास भी एक बड़ा सा गार्डेन था जिसका नाम अशोक वाटिका था। इस अशोक वाटिका में ही उसने मां जानकी को कैद कर रखा था।

भगवान कृष्ण का गार्डन

भगवान श्रीकृष्ण से बड़ा प्रकृति का प्रेमी कोई भी आज तक नहीं हुआ है। वो बचपन से ही गाय चराने के लिए जंगलो में जाते थे। उन्हें पेड़-पौधों से भी बहुत लगाव था। वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण ने निधिवन नाम के गार्डन का निर्माण करवाया था जहाँ आज भी रात को राधा रानी के साथ श्रीकृष्ण विहार करते हैं। जब श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश हुए तो उन्होंने भगवान विश्वकर्मा को द्वारिका नगर के निर्माण का आदेश दिया। विश्वकर्मा ने द्वारिका में भगवान श्रीकृष्ण के महल के साथ-साथ कई गार्डेन्स भी बनाये थे। इन गार्डेन्स में रुद्राक्ष के वन , भानु वन, चैत्ररथ वन, चित्रक वन, पंचवर्ण वन, पांञ्चजन्य वन, नंदन वन, रमण वन और मन्दार वन प्रमुख हैं। भगवान श्रीकृष्ण इन गार्डेन्स में अपनी पत्नियों के साथ विहार करते थे।

यमराज का गार्डन

मृत्य के देवता यमराज का भी गार्डन है। लेकिन इस गार्डन में कोई जाना नहीं चाहता। यमलोक पुरी में असितपत्रक नामक गार्डेन है। इस गार्डेन के पेड़ों के पत्तें तलवार की तरह नुकीले हैं। यमदूत इन पत्तों के उपर उन दुष्ट जीवात्माओं को रखते हैं जिन्हें नरक की यातनाएं दी जानी होती है। इन पत्तों पर रखते ही दुष्ट आत्माओं के शरीर कट–कट कर गिरने लगते हैं। दुष्ट आत्माएं इस ट्रार्चर से खूब चिल्लाती हैं।

author avatar
The Karma
See Full Bio
Tags: Hindu sanatan Dharma Sanatan storyदेवताओं के दिव्य बगीचे
ShareTweet

Recommended videos

श्रीराम ने वालि को छिप कर नहीं मारा था

श्रीराम ने वालि को छिप कर नहीं मारा था

12 VIEWS
December 20, 2024
हनुमान जी वानर थे या इंसान क्या है रामायण का सच?

हनुमान जी वानर थे या इंसान क्या है रामायण का सच?

88 VIEWS
December 20, 2024
महाभारत में भी है श्रीराम की रामायण कथा

महाभारत में भी है श्रीराम की रामायण कथा

64 VIEWS
December 20, 2024
कोहे नूर हीरे की कहानी

कोहे नूर हीरे की कहानी

34 VIEWS
December 20, 2024
क्या चुनाव के बाद आ गया VOTE JIHAD का पहला नतीजा? क्या जिहाद के दबाव में चल रही हैं CONGRESS?

क्या चुनाव के बाद आ गया VOTE JIHAD का पहला नतीजा? क्या जिहाद के दबाव में चल रही हैं CONGRESS?

42 VIEWS
March 2, 2025
UNTOLD RAMAYANA | क्या वाल्मिकी जी से पहले भी किसी ने रामायण लिखी थी ?

UNTOLD RAMAYANA | क्या वाल्मिकी जी से पहले भी किसी ने रामायण लिखी थी ?

37 VIEWS
March 2, 2025
  • About Us
  • Contact Us
  • Hindu Mythology
  • Home
  • Home 1
  • Home 2
  • Home 3
  • Latest
  • Myth & Truth
  • News Blog
  • Privacy Policy
  • Sanatan Ecosystem
  • Terms of Use
  • The Karma English
  • Trending
Call us: +1 234 JEG THEME

Copyright 2024

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • Home
  • Categories
    • Dharm Gyan
    • Hindu Mythology
    • Myth & Truth
    • Sanatan Ecosystem
    • Sanatan Glory
    • Sanatan Lifestyle
    • Science & Spirituality
    • The Karma English
  • Contact Us
  • About Us

Copyright 2024