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Home Dharm Gyan

Amarnath Yatra : जहां होते हैं शिव, पार्वती और गणेश के पवित्र दर्शन

admin by admin
July 23, 2025
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Amarnath Yatra - Ganesh or Parvati
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भारत में अनेक तीर्थ स्थल हैं, लेकिन कुछ स्थल ऐसे हैं जहां सिर्फ आस्था नहीं, बल्कि अद्भुत चमत्कार भी जुड़े होते हैं। ऐसा ही एक तीर्थ स्थल है अमरनाथ गुफा, जो जम्मू-कश्मीर की बर्फीली वादियों में स्थित है। यहाँ हर वर्ष लाखों शिव भक्त दर्शन के लिए पहुँचते हैं। Amarnath Yatra में प्राकृतिक रूप से बनने वाला हिम शिवलिंग, जिसे बाबा बर्फानी कहा जाता है, हिंदू धर्म के आस्था का केंद्र है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गुफा में भगवान शिव के अलावा माता पार्वती और भगवान गणेश के भी हिमखंड प्रकट होते हैं? जी हां, अमरनाथ गुफा में शिव परिवार का पूरा प्रतीक देखने को मिलता है, लेकिन इस रहस्य से बहुत कम लोग को पता हैं।

अमरनाथ गुफा एक अद्भुत चमत्कार

समुद्र तल से करीब 13,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह गुफा, बर्फ से ढकी पहाड़ियों और विशाल पर्वतों के बीच बसी हुई है। यही वह स्थान है जहां हर वर्ष बर्फ की बूंदें गुफा की छत से टपकती हैं और धीरे-धीरे जमकर एक शिवलिंग का आकार लेती हैं। यह कोई मानव निर्मित संरचना नहीं, बल्कि प्राकृतिक रूप से बना चमत्कार है। इसे ही स्वयंभू हिमानी शिवलिंग कहा जाता है। यह शिवलिंग हर साल श्रावण मास में पूर्ण रूप से प्रकट होता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे पिघल जाता है। यही वजह है कि अमरनाथ यात्रा का आयोजन सावन के महीने में होता है।

सिर्फ भगवान शिव ही नहीं, माता पार्वती और गणेश भी हैं गुफा में विराजमान

बहुत कम लोग जानते हैं कि अमरनाथ गुफा में सिर्फ शिवलिंग ही नहीं, बल्कि माता पार्वती और गणेश जी के भी हिमखंड बनते हैं। ये हिमखंड शिवलिंग से थोड़ी दूरी पर स्थित होते हैं और इन्हें पार्वती पीठ और गणेश पीठ कहा जाता है। ये भी बर्फ की बूंदों से बनते हैं और खास दिनों में भक्तों को नजर आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन हिमखंडों के दर्शन हर किसी को नहीं होते। केवल सच्चे भक्तों को, जिन पर शिव और पार्वती की विशेष कृपा होती है, उन्हें ही इन दुर्लभ रूपों के दर्शन प्राप्त होते हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ये हिमखंड अपने पूर्ण स्वरूप में दिखाई देते हैं और जैसे-जैसे अमावस्या नजदीक आती है, ये धीरे-धीरे आकार में छोटे होते जाते हैं।

पार्वती पीठ और गणेश पीठ

अमरनाथ गुफा को शक्तिपीठ भी माना जाता है। मान्यता है कि जब भगवान शिव तांडव कर रहे थे और माता सती के शरीर के अंग पृथ्वी पर गिर रहे थे, तब माता का कंठ इसी गुफा में गिरा था। इसलिए इसे पार्वती पीठ कहा गया है और यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। पार्वती का यह हिमखंड पार्वती जी की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है और यह साबित करता है कि शिव के साथ-साथ माता भी इसी स्थान पर विराजती हैं। भगवान गणेश का हिमखंड पार्वती पीठ के समीप स्थित होता है और शिव परिवार की पूर्णता का प्रतीक है। यह भक्तों के लिए यह संकेत है कि अमरनाथ की गुफा सिर्फ शिव का नहीं, बल्कि पूरा शिव परिवार यहाँ विराजमान है। गणेश जी का हिमखंड नन्हा सा दिखाई देता है और विशेष रूप से पिघलने से पहले सावन के अंतिम सप्ताह में प्रकट होता है।

Amarnath Yatra पौराणिक कथा

शिवपुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा – “हे प्रभु! आप अमर कैसे हैं? और आपके गले की नरमुंड माला का रहस्य क्या है?” शिव जी इस सवाल से बचते रहे, लेकिन पार्वती जी के हठ के आगे उन्हें झुकना पड़ा। शिव जी इस रहस्य को बताने के लिए एक एकांत और पवित्र स्थान की खोज में निकल पड़े। उन्होंने सभी तत्वों और जीवों का त्याग कर, माता को लेकर अमरनाथ गुफा में प्रवेश किया। गुफा के अंदर पहुंच कर उन्होंने चारों ओर अग्नि प्रज्वलित कर दी ताकि कोई और जीव कथा न सुन सके। फिर उन्होंने “अमर कथा” सुनानी शुरू की।

कथा के दौरान माता पार्वती नींद में चली गईं, लेकिन वहीं गुफा में दो कबूतर बैठे हुए कथा सुनते रहे। शिव जी को यह बाद में पता चला, और वे क्रोधित हो उठे। उन्होंने उन कबूतरों को मारने की सोची लेकिन कबूतरों ने प्रार्थना की कि वे तो केवल श्रोता हैं और वे इस अमर कथा को संसार में फैलाना चाहते हैं। शिव जी ने उन्हें प्राणदान दिया और आशीर्वाद दिया कि वे इस गुफा में अमर रहेंगे और उनके दर्शन भी शुभ माने जाएंगे। आज भी कई श्रद्धालु इन पवित्र कबूतरों के दर्शन करने का दावा करते हैं और उन्हें शिव-पार्वती के प्रतीक के रूप में पूजते हैं।

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