Menu

  • Home
  • Trending
  • Recommended
  • Latest

Categories

  • Dharm Gyan
  • Hindu Mythology
  • Myth & Truth
  • Sanatan Ecosystem
  • Sanatan Glory
  • Sanatan Lifestyle
  • Science & Spirituality
  • The Karma English
  • Video
The Karmapath
  • English
No Result
View All Result
The Karmapath
No Result
View All Result
Home Dharm Gyan

Osho और America: एक दार्शनिक की अनकही कहानी

admin by admin
August 29, 2025
0 0
0
Osho
0
SHARES
65
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

ओशो, जिन्हें आचार्य रजनीश के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसे भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु थे, जिनके विचारों ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। उनके तर्कवादी दृष्टिकोण, सामाजिक और धार्मिक आडंबरों के खिलाफ उनकी बेबाक राय, और भारतीय दर्शन शास्त्र को वैश्विक मंच पर ले जाने की उनकी क्षमता ने उन्हें एक अनूठा व्यक्तित्व बनाया। लेकिन, उनकी यह यात्रा विवादों से भरी रही, खासकर जब बात अमेरिका के साथ उनके संबंधों की आती है। ओशो का अमेरिका प्रवास, उनकी गिरफ्तारी, और रेडियोएक्टिव जहर के आरोपों ने उनके जीवन को एक रहस्यमयी मोड़ दिया। आइए, इस लेख में हम ओशो और अमेरिका के बीच के संबंधों, उनकी गिरफ्तारी, और भारतीय दर्शन शास्त्र के प्रभाव को गहराई से समझने की कोशिश करते हैं।

ओशो का अमेरिका प्रवास

सन् 1981 में, स्वास्थ्य कारणों से चिकित्सकों के परामर्श पर ओशो भारत छोड़कर अमेरिका चले गए। उनके साथ उनके 2000 से अधिक शिष्य भी थे, जो उनके विचारों और ध्यान की शिक्षाओं से गहराई से प्रभावित थे। अमेरिका के ओरेगन राज्य में, ओशो ने ‘रजनीशपुरम’ नामक एक आश्रम की स्थापना की, जो 64,000 एकड़ में फैला हुआ था। यह आश्रम केवल एक आध्यात्मिक केंद्र नहीं था, बल्कि एक स्वतंत्र शहर की तरह था, जिसमें स्कूल, अस्पताल, पुलिस, और यहाँ तक कि एक हवाई अड्डा भी था। इस आश्रम में उनके शिष्य मैरून या नारंगी वस्त्र पहनते थे और गले में लकड़ी का लॉकेट धारण करते थे, जो उनकी पहचान बन गया।

रजनीशपुरम की स्थापना ने अमेरिका में हलचल मचा दी। ओशो के प्रवचन, जो अंग्रेजी में धाराप्रवाह दिए जाते थे, ने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि वैश्विक स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया। उनके शिष्यों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी, और यह आश्रम एक वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभरने लगा। लेकिन, इस बढ़ती लोकप्रियता ने अमेरिकी प्रशासन और स्थानीय समुदायों को असहज कर दिया।

ओशो के विचार और अमेरिकी पूंजीवाद पर सवाल

ओशो के प्रवचनों का केंद्र बिंदु था ध्यान, प्रेम, और मानवीय चेतना को रूढ़ियों से मुक्त करना। उन्होंने न केवल धार्मिक आडंबरों का विरोध किया, बल्कि अमेरिकी पूंजीवाद और राजनीतिक व्यवस्था पर भी गहरे सवाल उठाए। ओशो का मानना था कि अमेरिका का लोकतंत्र समय के साथ तानाशाही में बदल जाता है, और उसका पूंजीवाद लोगों की स्वतंत्रता को दबाने का एक साधन है। उन्होंने अमेरिका के इतिहास को भी कटघरे में खड़ा किया, विशेष रूप से मूल अमेरिकियों (रेड इंडियन्स) के साथ हुए अन्याय को उजागर करते हुए। ओशो ने कहा था कि अमेरिका की नींव ही मूलनिवासियों के शोषण पर टिकी है, और यह देश स्वतंत्रता की बात करता है, लेकिन वास्तव में यह कैथोलिक ईसाइयों के प्रभाव में है।

उनके प्रवचनों में एक विशेष बात सामने आई थी, जिसमें उन्होंने ईसाई धर्म और इसके इतिहास पर सवाल उठाए। ओशो ने दावा किया कि ईसा मसीह ने अपने जीवन के 13 से 30 वर्ष भारत में बिताए थे, और उनकी शिक्षाएँ भारतीय दर्शन, विशेष रूप से बौद्ध और जैन दर्शन से प्रभावित थीं। यह दावा अमेरिकी समाज और ईसाई समुदाय के लिए असहज करने वाला था, क्योंकि यह उनकी धार्मिक मान्यताओं को चुनौती देता था।

ओशो के तर्कवादी और निडर स्वभाव ने अमेरिका में उनके अनुयायियों को प्रेरित किया कि वे सरकार से सवाल करें। उनके शिष्य पूछने लगे कि अगर अमेरिका वास्तव में स्वतंत्रता का देश है, तो वहाँ सच बोलने वालों को जेल क्यों भेजा जाता है? यह सवाल अमेरिकी प्रशासन के लिए एक खतरे की तरह उभरा।

रजनीशपुरम और विवाद

रजनीशपुरम केवल एक आध्यात्मिक केंद्र नहीं था, बल्कि यह एक सामाजिक और राजनीतिक प्रयोग भी था। ओशो के शिष्यों ने इसे एक स्वतंत्र शहर के रूप में रजिस्टर करने की कोशिश की, जिसका स्थानीय लोगों ने तीव्र विरोध किया। इस विरोध के बीच, मा आनंद शीला, जो ओशो की निजी सचिव और रजनीशपुरम की प्रमुख प्रशासक थीं, ने कई विवादास्पद कदम उठाए। इनमें स्थानीय चुनावों को प्रभावित करने के लिए सैल्मोनेला बैक्टीरिया का उपयोग करके जैविक हमला करना शामिल था, जिसके परिणामस्वरूप 750 लोग बीमार हो गए। इस घटना ने रजनीशपुरम को एक आध्यात्मिक केंद्र से संभावित खतरे के रूप में देखा जाने लगा।

इन विवादों ने अमेरिकी प्रशासन को ओशो और उनके आश्रम के खिलाफ कार्रवाई करने का मौका दिया। 1985 में, ओशो पर आप्रवासन नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया। उनके आश्रम को सैन्य स्तर पर घेर लिया गया, और फाइटर जेट्स और बमवर्षक विमान उनके प्रवचनों के दौरान कम ऊँचाई पर उड़ान भरने लगे ताकि उनके अनुयायियों में भय पैदा हो। लेकिन, ओशो और उनके शिष्यों ने हार नहीं मानी।

ओशो की गिरफ्तारी और जहर के आरोप

1985 के अंत में, अमेरिकी प्रशासन ने ओशो को बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 17 दिनों तक जेल में रखा गया, और इस दौरान उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। कई स्रोतों के अनुसार, ओशो ने दावा किया कि उन्हें जेल में ‘थैलियम’ नामक धीमा जहर दिया गया और रेडियोएक्टिव विकिरण के संपर्क में लाया गया। यह जहर इतना सूक्ष्म था कि इसका प्रभाव धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य पर पड़ा।

जेल से रिहाई के बाद, ओशो ने अमेरिकी सरकार की और भी तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, “ये बेवकूफ (अमेरिकी सरकार) मुझे वीजा देने का हक नहीं रखते। ये सब उतने ही विदेशी हैं, जितना मैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ये 300 साल पहले आए, और मैं चार साल पहले।” उनकी यह बेबाकी और सत्य को सामने लाने की हिम्मत ने उन्हें और भी विवादास्पद बना दिया।

21 देशों में प्रतिबंध और भारत वापसी

अमेरिका ने न केवल ओशो को देश से निकाला, बल्कि 21 अन्य देशों को भी उनके प्रवेश पर रोक लगाने के लिए दबाव डाला। ओशो ने कई देशों में शरण लेने की कोशिश की, लेकिन सभी ने इनकार कर दिया। अंततः, 1985 में वे भारत लौट आए और पुणे में अपने आश्रम में रहने लगे।

19 जनवरी 1990 को, पुणे में ओशो का निधन हो गया। उनकी मृत्यु को आधिकारिक रूप से हृदय गति रुकने के कारण बताया गया, लेकिन उनके अनुयायियों और कई विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी मृत्यु एक रहस्य है। कोई पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया, और उनके शव का दाह संस्कार जल्दी कर दिया गया, जिसने जहर दिए जाने की आशंकाओं को और बढ़ा दिया।

भारतीय दर्शन शास्त्र का प्रभाव

ओशो का दर्शन भारतीय संस्कृति और दर्शन शास्त्र से गहरे तक प्रभावित था। उन्होंने बौद्ध, जैन, और हिंदू दर्शन को एक नए रूप में प्रस्तुत किया, जो आधुनिक और वैश्विक दर्शकों के लिए प्रासंगिक था। उनकी शिक्षाओं में ध्यान, प्रेम, और स्वतंत्रता पर जोर था। ओशो ने कभी किसी एक धर्म का प्रचार नहीं किया; इसके बजाय, उन्होंने भारतीय दर्शन की उस भावना को जीवित रखा, जो मानव को रूढ़ियों से मुक्त करने और आत्म-जागरूकता की ओर ले जाने की बात करती है।

उनके प्रवचनों में गीता, कबीर, मीरा, और बौद्ध भिक्षुओं जैसे भारतीय दार्शनिकों और संतों का उल्लेख बार-बार आता था। उनकी पुस्तक “संभोग से समाधि की ओर” ने उन्हें विवादों में ला दिया, लेकिन यह भी उनके दर्शन का एक हिस्सा थी, जो जीवन के हर पहलू को स्वीकार करने की बात करती थी। ओशो का मानना था कि सच्चा संन्यास त्याग नहीं, बल्कि समझ और जागरूकता है।

अमेरिका का डर: सत्य या मिथ्या?

ओशो के विचारों ने अमेरिका को असहज क्यों किया? क्या वास्तव में अमेरिका उनसे डरता था? उनके अनुयायियों का मानना है कि ओशो की बढ़ती लोकप्रियता और उनके तर्कवादी दृष्टिकोण ने अमेरिकी पूंजीवाद और धार्मिक ढांचे को चुनौती दी थी। उनके शिष्य पूंजीवाद पर सवाल उठाने लगे थे, और यह अमेरिकी व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी थी।

रजनीशपुरम में 96 रॉल्स रॉयस कारें और एक स्वतंत्र शहर की स्थापना ने अमेरिका को यह संदेश दिया कि ओशो का प्रभाव केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक भी था। यह एक ऐसा आंदोलन था, जो अमेरिका की मुख्यधारा की विचारधारा को चुनौती दे रहा था।

ओशो की विरासत

आज भी ओशो की शिक्षाएँ लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं। पुणे में उनका आश्रम आज भी ध्यान और आध्यात्मिकता का केंद्र है, जहाँ दुनिया भर से लोग आते हैं। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके विचार जीवित हैं, और उनकी पुस्तकें और प्रवचन वैश्विक स्तर पर पढ़े और सुने जाते हैं। ओशो ने भारतीय दर्शन को न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में एक नया आयाम दिया।

उनके जीवन का यह पहलू हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या सत्य बोलने की कीमत इतनी भारी होनी चाहिए? ओशो की कहानी न केवल एक दार्शनिक की कहानी है, बल्कि यह उस साहस की कहानी है, जो सत्य को सामने लाने के लिए चाहिए।

 

author avatar
admin
See Full Bio

Recommended videos

इंडोनेशिया को ब्रह्मा के ज्वालामुखी से बचाने वाले गणेश: एक चमत्कारी सनातन रहस्य

इंडोनेशिया को ब्रह्मा के ज्वालामुखी से बचाने वाले गणेश: एक चमत्कारी सनातन रहस्य

26 VIEWS
September 8, 2025
मोदी की सत्ता अमरता की आयुर्वेदिक औषधि: पुतिन और शी जिनपिंग को मिला प्राचीन ज्ञान

मोदी की सत्ता अमरता की आयुर्वेदिक औषधि: पुतिन और शी जिनपिंग को मिला प्राचीन ज्ञान

11 VIEWS
September 8, 2025
बाबासाहेब अंबेडकर और हिंदू धर्म: एक अनकहा सच

बाबासाहेब अंबेडकर और हिंदू धर्म: एक अनकहा सच

3 VIEWS
September 8, 2025
श्री नारायण गुरु: सनातन धर्म के सुधारक और संरक्षक

श्री नारायण गुरु: सनातन धर्म के सुधारक और संरक्षक

9 VIEWS
September 8, 2025
भारत के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और मोदी की रणनीति

भारत के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और मोदी की रणनीति

11 VIEWS
August 29, 2025
Osho

Osho और America: एक दार्शनिक की अनकही कहानी

65 VIEWS
August 29, 2025
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms of Use

Copyright 2024

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • Home
  • Categories
    • Dharm Gyan
    • Hindu Mythology
    • Myth & Truth
    • Sanatan Ecosystem
    • Sanatan Glory
    • Sanatan Lifestyle
    • Science & Spirituality
    • The Karma English
  • Contact Us
  • About Us

Copyright 2024