पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी अमेरिका में अवधूत गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी द्वारा स्थापित अवधूत दत्तपीठ और SGS गीता फ़ाउंडेश ने संपूर्ण Bhagavad Gita Parayan कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस बार टेक्सास राज्य में डलास फ्रिस्को के एलन स्टेडियम में दस हज़ार से अधिक भक्तों के साथ सम्पूर्ण भगवद्गीता पारायण का भव्य आयोजन किया गया। सभी भक्तों ने एक साथ मिलकर पूरी भक्ति और सही उच्चारण के साथ सम्पूर्ण भगवद्गीता परायण किया, यानी एक बार में गीता के सभी 700 श्लोक का पाठ किया गया।
संपूर्ण Bhagavad Gita Parayan में 14 देश के लोग शामिल
संपूर्ण गीतापरायण के इस महायज्ञ में अवधूत दत्त पीठम के विश्व भर में फैले आश्रमों से जुड़े लोग शामिल हुए। डलास में आयोजित कार्यक्रम में 14 देशों के आश्रमों के 900 बैच सम्मिलित हुए।हर बैच में 500 से अधिक ऐसे लोग शामिल थे जिन्हें पूरी गीता कंठस्थ थी। इसके अलावा 400 से अधिक ऐसे लोग शामिल थे, जो धाराप्रवाह तरीके से संपूर्ण गीता का पाठ कर सकते थे। इन 900 बैच के अलावा गीता कंठस्थ करने वाले आश्रमों के 2000 पूर्व छात्र भी संपूर्ण गीतापरायण में शामिल हुए, इनमें अमेरिका स्थित 30 केंद्रों के 250 स्वयंसेवक भी भी शामिल थे। संपूर्ण गीतापरायण में सबसे कम उम्र का महायज्ञ स्नातक 3 वर्ष का था, जबकि सबसे अधिक उम्र के स्नातक 85 वर्ष के थे। डलास में इतने बड़े स्तर पर संपूर्ण भगवतगीता परायण के इस महायज्ञ के बारे में जानकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अभीभूत दिखे। उन्होंने अवधूत गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी को इसके लिए साधुवाद दिया है।
एक अवधूत की परिकल्पना ऐसे हुई साकार
परमपूज्य गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी ने बच्चों, युवाओं और वयस्कों को भगवद्गीता की जीवन-परिवर्तनकारी शिक्षाओं से सशक्त बनाने के लिए गीता महायज्ञ कार्यक्रम की ना केवल परिकल्पना की बल्कि उसे व्यवहार में भी उतार दिया। उनकी इसी परिकल्पना ने एसजीएस गीता फाउंडेशन को भी जन्म दिया है। गीता महायज्ञ के अंतर्गत छात्र 10 महीनों में भगवद्गीता के सभी 700 श्लोक सीखते हैं। प्रामाणिक उच्चारण, प्रामाणिक स्मरण और श्लोकों के अर्थ पर ज़ोर महायज्ञ कार्यक्रम की विशेषता है। अंतिम परीक्षाएँ सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को एसजीएस गीता फाउंडेशन की तरफ से प्रमाण पत्र और पदक भी प्रदान किए जाते हैं। गीता महायज्ञ स्नातकों को संपूर्ण गीता पारायण में भाग लेने का अवसर प्राप्त होता है, जो वार्षिक गीता उत्सव का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका आयोजन परमपूज्य श्रीस्वामीजी की दिव्य उपस्थिति में किया जाता है। इसके अलावा फाउंडेशन द्वारा गीता टैलेंट शो का भी आयोजन किया जाता है, जो एक अनूठा आयोजन है जो भगवद्गीता के गहन श्लोकों पर केंद्रित ज्ञानवर्धक प्रतियोगिताओं के जरिए छात्रों की अद्वितीय प्रतिभा को शानदार ढंग से प्रदर्शित करता है।
संपूर्ण भगवतगीता परायण की पूरे विश्व में गूंज
इतने विशाल स्तर पर हुए संपूर्ण भगवतगीता परायण के आयोजन को लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने विशेष रुचि दिखाई। अमेरिका, भारत समेत कई देशों के टीवी न्यूज चैनल्स ने इसे अपने बुलेटिन में जगह दी। धर्म और आध्यात्म से जुड़े कई चैनलों ने कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया। इसके अलावा अखबारों और वेबसाइट्स ने भी अमेरिका में आयोजित हुए संपूर्ण भगवदगीता परायण कार्यक्रम को जगह दी। मेन स्ट्रीम मीडिया के अलावा सोशल मीडिया में भी परम पूज्य स्वामी जी द्वारा आयोजित संपूर्ण भगवदगीता परायण का कार्यक्रम छाया रहा। आपको जानकर हैरानी होगी कि ट्विटर पर यह कार्यक्रम 40 करोड़ से अधिक लोगों तक ट्रेंड हुआ और लाखों लोगों ने ट्वीट और कमेंट कर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।
गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी का संकल्प
परम पूज्य श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी ने लाखों लोगों को मंत्रोपदेश देकर उनके जीवन में आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग को प्रशस्त किया है। स्वामी जी का मानना है कि भगवतगीता भगवान श्रीकृष्ण द्वारा मानवता को प्रदान की गई सर्वोच्च निधि है। इसीलिए वो अपने अथक प्रयास से भगवद्गीता की शिक्षाओं और संदेशों को विश्व के असंख्य लोगों तक पहुँचाकर उनके जीवन को सुगम बनाने का महती कार्य कर रहे हैं। परम पूज्य स्वामीजी के दिखाए मार्ग पर चलकर अनेक लोगों ने भगवद्गीता को कंठस्थ कर उसे आत्मसात कर लिया है। इस श्रद्धा और तप के असर से उनके जीवन में आया परिवर्तन साफ-साफ देखा भी जा सकता है।
पूरे विश्व में सनातन का प्रचार और प्रसार
परम पूज्य श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी पिछले 65 वर्षों से बिना रुके अमेरिका समेत पूरे विश्व में आध्यात्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उन्होंने भारत समते विश्व के कई देशों में मंदिरों और आश्रमों की स्थापना भी की है, ताकि भारत की आध्यात्मिक शक्ति और भक्ति विश्व के हर व्यक्ति को सुलभ हो सके। इस तरह पूज्य स्वामी जी ना केवल सनातन संस्कृति और परंपराओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं बल्कि उसे संरक्षित भी कर रहे हैं। अवधूत पूज्य श्री गणपति सच्चिदानंद स्वामी जी सनातन धर्म परंपरा के माध्यम से समरस समाज निर्माण के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। उनकी इच्छा है कि आध्यात्मिकता प्रत्येक मनुष्य का एक स्थायी भाव बन जाए।