यह ब्रह्मांड रहस्यों से भरा है इसमें कई लोक हैं इन्हीं लोकों में पृथ्वी के नीचे पाताल लोक है और पाताल लोक का रहस्य भी अलबेला है यह पाताल लोक भी एक के नीचे एक 7 लोकों में बंटा हैं जिसके अपने अलग-अलग निवासी हैं और इनके अलग-अलग राजा भी हैं इन 7 पातालों की दुनिया बेहद रहस्यमयी है इनके बारे में जानकर आप अचरज से भर जाएंगे आज आप को इसी पाताल लोक के बारे में डिटेल जानकारी देंगे।
आपको पाताल लोक के बारे में बताएं उससे पहले थोड़ी जानकारी भूलोक यानि पृथ्वी लोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक यानि स्वर्गलोक के बारे में देते हैं इन तीनों को त्रिभुवन भी कहा जाता है जितनी दूर तक सूर्य, चंद्रमा आदि का प्रकाश जाता है उसे भूलोक कहा जाता है पृथ्वी और सूर्य के बीच के लोक को भुवर्लोक कहते हैं भुवर्लोक में ही सभी ग्रह और नक्षत्र स्थित हैं तीसरा स्वर्लोक इसे स्वर्गलोक भी कहा जाता है यह सूर्य और ध्रुव के बीच का भाग है जिनके बीच चौदह लाख योजन की दूरी का अंतर है इसी में सप्त ऋषि मंडल आता है।
क्या है पाताल लोक का रहस्य
अब बात पाताल लोक की करते हैं रामायण की कथाओं के अनुसार पाताल लोक ठीक धरती के नीचे है वहां तक पहुंचने के लिए 70 हजार योजन की गहराई पर जाना पड़ता है यानि करीब 8 लाख 84 हजार किलोमीटर गहराई में पाताल लोक है पाताल लोक में दैत्य, दानव, यक्ष और बड़े-बड़े नागों और मत्स्य कन्याओं की जातियां निवास करती हैं वहां हिमालय की तरह ही एक पर्वत भी है।
अब आपको पृथ्वी के नीचे स्थित सात पाताल लोकों के बारे में एक-एक कर बताते हैं विष्णु पुराण के अनुसार भू-लोक यानी पृथ्वी के नीचे 7 प्रकार के लोक हैं जिनमें पाताल लोक अंतिम है। 7 पाताल लोकों के नाम हैं- अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल। अतल में मय दानव का पुत्र असुर बल रहता है जिसने 96 तरह की माया रची हैं। उसके नीचे वितल लोक में भगवान हाटकेश्वर नाम के महादेवजी अपने गणों भूतों के साथ रहते हैं। वहां वे सृष्टि वृद्धि के लिए मां भवानी के साथ विहार करते रहते हैं उन दोनों के प्रभाव से वहां हाट नाम की एक सुंदर नदी बहती है। वितल के नीचे सुतल लोक है उसमें यशस्वी राजा विरोचन के पुत्र बलि रहते हैं इन्हीं बलि से भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर तीनों लोक छीन लिया था लोक कथाओं के अनुसार सुतल के राजा बलि को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है,वो आज भी जिंदा है और हर साल ओणम त्योहार के दिन पाताल लोक से पृथ्वी पर आते हैं और अपनी प्रजा से मिलते हैं। सुतल लोक से नीचे तलातल है यहां का राजा दानवराज मय है। उसके नीचे महातल में कश्यप की पत्नी कद्रू से उत्पन्न हुए अनेक सिरों वाले सर्पों का समुदाय रहता है उनमें कहुक, तक्षक, कालिया और सुषेण आदि प्रधान नाग हैं उनके बड़ेबड़े फन हैं। उनके नीचे रसातल में पणि नाम के दैत्य और दानव रहते हैं ये देवताओं का विरोध करते रहते हैं रसातल के नीचे पाताल है वहां शंड्ड, कुलिक, महाशंड्ड, श्वेत, धनंजय, धृतराष्ट्र, शंखचूड़, कम्बल, अक्षतर और देवदत्त जैसे क्रोधी और बड़े-बड़े फनों वाले नाग रहते हैं इनमें वासुकि प्रधान है। उनमें किसी के 5, किसी के 7, किसी के 10, किसी के 100 और किसी के 1000 सिर हैं उनके फनों की दमकती हुई मणियां अपने प्रकाश से पाताल लोक का सारा अंधकार नष्ट कर देती हैं।
पाताल लोक से जुड़ी पौराणिक कथा
पुराणों और सनातन हिन्दू धर्म के दूसरे ग्रंथों में अनेक पाताल लोक से जुड़ी पौराणिक कथा और घटनाओं का जिक्र हुआ है आपको कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में बताते हैं एक बार माता पार्वती के कान की बाली या मणि पानी में गिर कर खो गई इसे खूब खोजा गया लेकिन नहीं मिली बाद में पता चला कि वह मणि पाताल लोक का राजा शेषनाग के पास पहुंच गई है जब शेषनाग को इसकी जानकारी हुई तो उसने पाताल लोक से ही जोरदार फुफकार मारी और धरती के अंदर से गरम जल फूट पड़ा गरम जल के साथ ही मणि भी निकल आई।
रामायण में पाताललोक की कथा
रामायण में पाताल लोक की कथा तब आती है जब रावण का भाई अहिरावण राम-लक्ष्मण का हरण कर उन्हें पाताल लोक लेकर चला गया तब हनुमान जी पाताल लोक जाकर अहिरावण का वध करते हैं और राम-लक्ष्मण को वापस पृथ्वी पर लेकर आते हैं रामायण की कथा के अनुसार हनुमान जी को अहिरावण तक पहुंचने के लिए पातालपुरी के रक्षक मकरध्वज को परास्त करना पड़ा था जो ब्रह्मचारी हनुमान का ही पुत्र था दरअसल मकरध्वज एक मत्स्यकन्या से उत्पन्न हुए थे, जो लंकादहन के बाद समुद्र में आग बुझाते समय हनुमान जी के पसीना गिर जाने से गर्भवती हुई थी रामकथा के मुताबिक अहिरावण वध के बाद भगवान राम ने वानर रूप वाले मकरध्वज को ही पातालपुरी का राजा बना दिया था, जिसे पाताल पुरी के लोग पूजने लगे थे।
विष्णुपुराण में पाताललोक की कथा
विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार एक बार नारद जी को पाताल लोक देखने गए और जब वो स्वर्गलोक लौटकर आए तो लोगों ने वहां के बारे पूछा तब नारदजी ने पाताल लोक का वर्णन करते हुए कहा कि पाताल लोक देखने में स्वर्ग से भी सुंदर है वहां रहने वाले लोग मणि के साथ खूबसूरत आभूषण धारण करते हैं। पाताल लोक की कन्याएं इतनी खूबसूरत हैं कि कोई भी पुरुष मोहित हुए बिना नहीं रह पाएगा। पाताल लोक में सूर्य की किरणें केवल प्रकाश ही करती हैं,गर्मी नहीं करती हैं। और चंद्रमा की किरणों से शीत नहीं होती केवल चांदनी ही फैलती है। यहां भोग में सुखपूर्वक लिप्त सर्पों एवं दानवों को समय जाता हुआ महसूस नहीं होता। सुंदर वन और नदियां हैं,आकर्षक सरोवर हैं,कमल के वन है जहां कोयल का मधुर स्वर गूंजता रहता है।
पाताललोक जाने का रास्ता
पृथ्वी से स्वर्ग जाने के रास्ते हैं वैसे ही पृथ्वी से पाताल लोक जाने का रास्ता भी बताया गया है पुराणों में ऐसे कई स्थान बताए गए हैं ऐसी कई जगहों के नाम मिलते हैं जिनके नाम के आगे पाताल है जैसे पातालकोट, पातालपानी, पातालद्वार, पाताल भैरवी, पाताल दुर्ग आदि। नर्मदा नदी को भी पाताल नदी कहा जाता है नदी के भीतर भी ऐसे कई स्थान होते हैं जहां से पाताल लोक जाया जा सकता है समुद्र में भी ऐसे कई रास्ते हैं जहां से पाताल लोक पहुंचा जा सकता है ऐसा भी कहा जाता है कि ऐसी कई गुफाएं हैं जहां से पाताल लोक जाया जा सकता है ऐसी गुफाओं का एक सिरा तो दिखता है लेकिन दूसरा कहां खत्म होता है इसका किसी को पता नहीं। बंगाल की खाड़ी के आसपास नागलोक होने का जिक्र है क्योंकि यहां नाग संप्रदाय के लोग रहते भी हैं।