भारत और China War के बीच सीमा तनाव की खबरें अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। दोनों देशों के बीच 1962 में एक बड़ा युद्ध भी हो चुका है, जिसमें भारत को रणनीतिक नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस युद्ध के दौरान एक ऐसा भी क्षण आया था जब लगा कि युद्ध कभी खत्म नहीं होगा – और तभी भारत के एक संत और माँ Baglamukhi की कृपा से चमत्कारिक ढंग से युद्ध रुक गया।
पीतांबरा पीठ, दतिया – माँ बगलामुखी का सिद्ध धाम
मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित पीतांबरा पीठ माँ बगलामुखी का प्रमुख सिद्ध स्थल माना जाता है। इस शक्तिपीठ की स्थापना 1935 में स्वामी जी महाराज द्वारा की गई थी। यह स्थान पहले एक श्मशान हुआ करता था, लेकिन स्वामी जी की साधना और माँ की कृपा से यह एक दिव्य तीर्थस्थल में परिवर्तित हो गया। माँ बगलामुखी को “शत्रु विनाशिनी” कहा जाता है – ऐसी देवी जो बड़े से बड़े शत्रु को भी शांत कर सकती हैं। कोर्ट-कचहरी के मामलों, जीवन के संकटों और शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए भक्त यहाँ नियमित रूप से आते हैं।
1962 का भारत-चीन युद्ध और माँ बगलामुखी का चमत्कार
1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया, तब भारत की स्थिति काफी कमजोर हो गई थी। चीन की सेनाएं लगातार सीमा पर कब्ज़ा करती जा रही थीं। देश की राजधानी में चिंता का माहौल था और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को युद्ध रोकने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। हालाँकि नेहरू जी को एक सेकुलर नेता माना जाता है, फिर भी जब संकट चरम पर पहुँचा, तो उन्होंने माँ बगलामुखी की शरण ली। उन्होंने दतिया पीठ के महंत श्रीस्वामी जी महाराज से अनुरोध किया कि वे माँ से प्रार्थना करें ताकि यह विनाशकारी युद्ध रुक सके।
अखंड राष्ट्र रक्षा यज्ञ – एक आध्यात्मिक हस्तक्षेप
स्वामी जी महाराज ने बिना विलंब किए “अखंड राष्ट्र रक्षा यज्ञ” का आयोजन किया। इस विशेष यज्ञ में माँ बगलामुखी से युद्ध समाप्त करने की प्रार्थना की गई। यह यज्ञ कुछ ही दिनों तक चला – और चमत्कार हुआ! जैसे ही यज्ञ पूर्ण हुआ, चीन की सेना ने बिना किसी औपचारिक कारण या सूचना के पीछे हटना शुरू कर दिया। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के लिए यह अचंभे की बात थी, लेकिन पीतांबरा पीठ के श्रद्धालुओं और संतों के लिए यह माँ की कृपा का प्रमाण था।
माँ बगलामुखी की कृपा आज भी जीवित है
श्रीस्वामी जी महाराज ने 1979 में समाधि ली, लेकिन उनकी साधना और माँ की शक्ति आज भी इस स्थान पर जीवंत मानी जाती है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहाँ आकर अपनी मनोकामनाएँ माँ से मांगते हैं – और कई को यहाँ चमत्कारी अनुभव होते हैं। माँ बगलामुखी पीतांबरा पीठ सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, यह भारत की आत्मिक शक्ति का प्रतीक है। 1962 के भारत-चीन युद्ध में माँ की कृपा से युद्ध का अंत हुआ – यह सिर्फ एक कथा नहीं, बल्कि आस्था और राष्ट्रभक्ति का सजीव उदाहरण है।